आज यानी 27 जून को पीटी उषा अपना 61वां जन्मदिन मना रही हैं। महिला वर्ग में पीटी उषा का नाम बड़े ही अदब के साथ लिया जाता है। पीटी उषा ने 80 और 90 के दशक में पीटी उषा ने अपने शानदार खेल से देश का नाम रोशन किया था। हालांकि उन्होंने बचपन में गरीबी और संघर्ष का सामना किया था। लेकिन इसके बाद भी वह सभी समस्याओं को पार करते हुए एक महान धावक बनीं और अपने देश का नाम रोशन किया था। तो आइए जानते हैं उनके बर्थडे के मौके पर पीटी उषा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
भारत के ट्रैक एंड फील्ड के इतिहास में महिला वर्ग में पीटी उषा का नाम बड़े ही अदब के साथ लिया जाता है। उनकी तेज रफ्तार की वजह से उन्हें ‘पय्योली एक्सप्रेस’ भी कहा जाता था। 80 और 90 के दशक में अपने शानदार खेल से उन्होंने देश का नाम खूब रोशन किया। केरल के कोझिकोड स्थित पय्योली गांव में 27 जून 1964 को जन्मी पीटी उषा आज अपना 58वां जन्मदिन मना रही हैं। परिवार की गरीबी की वजह से एथलीट बनने में उनके सामने अनेक कठिनाइयां आईं लेकिन इन सब मुश्किलों से पार पाते हुए वह एक महान धावक बनीं और देश का नाम रोशन किया।
जन्म और परिवार
केरल के कोझीकोड जिले में स्थित पयोली गांव में 27 जून 1964 को पीटी उषा का जन्म हुआ था। उनका जीवन काफी गरीबी में बीता और जब वह स्कूल में थीं, तभी उन्होंने दौड़ना शुरूकर दिया था। जब पीटी उषा चौथी कक्षा में थीं, तो उनके शारीरिक शिक्षा के टीचर ने जिले के चैंपियन मुकाबले में प्रतिभाग करने के लिए कहा। वहीं इस प्रतियोगिता में पीटी उषा ने जिला चैंपियन को हरा दिया था, जोकि उनके स्कूल में पढ़ती थीं।
शिक्षा
पीटी उषा अपने स्कूल के लिए जिला स्तर के मुकाबले में शामिल होने लगीं। वहीं खेलों में पीटी उषा के प्रदर्शन को देखते हुए केरल सरकार ने पीटी उषा को स्कॉलरशिप से सम्मानित किया था। वहीं पढ़ाई और ट्रेनिंग के लिए पीटी उषा ने कन्नूर के लिए एक विशेष खेल में स्कूल में एडमिशन लिया था।
करियर
एथलीट करियर के रूप में उनके जीवन उस समय मोड़ आया, जब साल 1976 में पीटी उषा के कोच ओ. एम. नाम्बियार की नेशनल स्कूल गेम्स के दौरान नजर पड़ी। फिर उनको अंतरराष्ट्रीय खेलों में शामिल होने का मौका मिला। साल 1980 में पीटी उषा के अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरूआत हुई थी। इस दौरान कराची में पीटी उषा ने पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट में चार स्वर्ण पदक जीते।
साल 1980 में पीटी उषा को मॉस्को, साल 1984 लॉस एंजिल्स और साल 1988 में सियोल में शामिल हुई थी। लेकिन वह पदक पाने से चूक गईं। लॉस एंजिल्स ओलंपिक के फाइनल तक पीटी उषा पहुंची और यह देश के लिए बड़ी उपलब्धि थी। क्योंकि पीटी उषा से पहले भारतीय महिला एथलीट ओलंपिक फाइनल में नहीं पहुंची थी। उन्होंने एशियाई खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन किया था।
सम्मान
बता दें कि महज 20 साल की उम्र में पीटी उषा को पद्म श्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही उनको विश्व ट्रॉफी से सम्मानित किया गया था। भारतीय ओलंपिक संघ ने पीटी उषा को ‘स्पोर्ट्स वुमन ऑफ द मिलेनियम’ और ‘स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द सेंचुरी’ के लिए नामित किया था। वहीं साल 2000 में भारत की इस सर्वश्रेष्ठ एथलीट ने करियर से संन्यास ले लिया।