Breaking News

भारत में अवैध रूप से रह रहे म्यांमा के आठ नागरिकों को दो साल की सजा

महाराष्ट्र के ठाणे की एक अदालत ने भारत में अवैध रूप से रह रहे म्यांमा के आठ नागरिकों को दो साल के कारावास की सजा सुनाई और यह अवधि पूरी होने के बाद उन्हें देश से निष्कासित करने का भी आदेश दिया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जी टी पवार ने 10 जून को सुनाए गए फैसले में कहा कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) द्वारा जारी किए गए शरणार्थी कार्ड भारत में रहने के लिए वैध नहीं माने जा सकते क्योंकि भारत ने 1951 की शरणार्थी संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
फैसले की प्रति शनिवार को उपलब्ध हुई।

अदालत ने आठों लोगों को विदेशी (नागरिक) अधिनियम, 1946 के तहत दोषी करार दिया और प्रत्येक पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
एक अन्य आरोपी रियाज अहमद अकबर अली शेख, जो भारतीय नागरिक है को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। उसपर इन लोगों की मदद करने का आरोप था।

मामले के अनुसार, ठाणे जिले के उत्तन सागरी पुलिस ने 26 फरवरी 2024 को गुप्त सूचना के आधार पर चौकगांव जेट्टी पर छापा मारा, जहां से म्यांमा के आठ नागरिकों को पकड़ा गया था।

न्यायाधीश ने फैसले में कहा, हालांकि, आरोपी संख्या एक से आठ के पास यूएनएचसीआर कार्ड हैं… लेकिन भारत संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी समझौता, 1951 और उसके 1967 प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है…ऐसे में, मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि ये सभी आरोपी विदेशी हैं और बिना वैध दस्तावेजों के भारत में प्रवेश कर यहां रह रहे हैं।
न्यायालय ने आदेश दिया कि आठों दोषियों को उनकी सजा पूरी होने के बाद म्यांमा वापस भेज दिया जाए।

Loading

Back
Messenger