भारतीय विदेश मंत्रालय की इस सप्ताह की ब्रीफिंग में कई ऐसे बिंदु सामने आए जिन्होंने न केवल भारत की वैश्विक स्थिति को रेखांकित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि नई दिल्ली किस प्रकार संवेदनशील मुद्दों पर संयम, दृढ़ता और विवेकपूर्ण दृष्टिकोण से आगे बढ़ रही है। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जिन प्रमुख मुद्दों पर जानकारी दी उनमें रूसी सेना में भर्ती हो रहे भारतीय नागरिकों का मुद्दा शामिल था। इसके अलावा उन्होंने सेवानिवृत्त मेजर विक्रांत जेतली की यूएई में गिरफ्तारी, पाकिस्तान की परमाणु गतिविधियाँ और ट्रंप के बयानों पर भी प्रतिक्रिया दी।
जायसवाल ने बताया कि लगभग 44 भारतीय नागरिक इस समय रूसी सेना में सेवा कर रहे हैं। यह जानकारी भारत को हाल ही में प्राप्त हुई है। सरकार ने रूस के समक्ष इनकी तत्काल रिहाई की मांग की है और यह भी कहा है कि इस तरह की भर्ती को समाप्त किया जाए। विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को स्पष्ट चेतावनी दी है कि रूसी सेना में भर्ती का कोई भी प्रस्ताव जीवन के लिए गंभीर जोखिम भरा है। इस बयान में भारत का मानवीय दृष्टिकोण और अपने नागरिकों की सुरक्षा के प्रति गहरी चिंता झलकती है। उन्होंने कहा कि भारत ने यह मुद्दा सीधे और बारंबार रूस के साथ उठाया है— जो यह दर्शाता है कि नई दिल्ली अपने मित्र देशों से भी कठिन प्रश्न पूछने से पीछे नहीं हटती।
दूसरा महत्वपूर्ण मामला सेवानिवृत्त मेजर विक्रांत कुमार जेतली का है, जो यूएई में हिरासत में हैं। जायसवाल ने बताया कि भारत इस मामले में यूएई अधिकारियों के निरंतर संपर्क में है, चार बार मुलाकातें की गई हैं और परिवार को हर स्तर पर सहयोग दिया जा रहा है। यह स्पष्ट करता है कि भारत अब किसी भी नागरिक या पूर्व सैनिक को विदेशों में कानूनी संकट में अकेला नहीं छोड़ता। यह एक जिम्मेदार राष्ट्र की पहचान है जो अपनी मानव पूंजी को महत्व देता है।
इसके अलावा, पाकिस्तान के अवैध परमाणु कार्यक्रम को लेकर फिर से भारत ने अपने रुख को पुष्ट किया है। जायसवाल ने कहा कि पाकिस्तान की परमाणु गतिविधियाँ दशकों से तस्करी, निर्यात नियंत्रण उल्लंघन और AQ खान नेटवर्क जैसे गुप्त साझेदारी पर आधारित रही हैं। भारत ने बार-बार विश्व समुदाय को इस खतरनाक प्रवृत्ति की ओर ध्यान दिलाया है। यह बयान उस समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के परमाणु परीक्षणों पर हाल में टिप्पणी की थी। देखा जाये तो भारत का बयान यहां केवल प्रतिक्रिया नहीं बल्कि एक दृढ़ पुनर्स्मरण है कि दक्षिण एशिया में परमाणु अस्थिरता की जड़ पाकिस्तान की नीतियों में निहित है।
इसके अलावा, ट्रंप के ही एक अन्य बयान कि G20 से दक्षिण अफ्रीका को बाहर किया जाये पर भारत ने अप्रत्यक्ष रूप से अपनी नीति स्पष्ट की। जायसवाल ने कहा कि भारत G20 की एकता, समावेशिता और बहुपक्षीयता के सिद्धांतों पर अडिग है। दरअसल, 2023 में भारत की अध्यक्षता में G20 का जो स्वरूप उभरा था, उसमें ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज़ को प्रमुखता मिली थी। ऐसे में भारत के लिए किसी भी सदस्य को बाहर करने की बात अस्वीकार्य है। भारत का यह रुख यह संदेश देता है कि नई दिल्ली अपने कूटनीतिक साझेदारों के साथ मतभेदों को मर्यादा में रखते हुए वैश्विक संतुलन बनाए रखना जानती है।
विदेश मंत्रालय की इस ब्रीफिंग का व्यापक अर्थ यही है कि भारत आज संवेदनशील, दृढ़ और संतुलित कूटनीति का परिचायक बन चुका है। वह न केवल अपने नागरिकों की सुरक्षा के प्रति जागरूक है बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करता। जहां पश्चिमी शक्तियाँ अक्सर टकराव या हित आधारित प्रतिक्रियाएँ देती हैं, वहीं भारत अब संवाद, सहयोग और नैतिक नेतृत्व के जरिए अपनी भूमिका निभा रहा है।