राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि संघ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा कि संघ किसी भी मुद्दे पर सलाह दे सकता है, लेकिन अंतिम निर्णय भाजपा ही लेगी। उन्होंने यह भी कहा कि संघ का केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के साथ अच्छा समन्वय है। उन्होंने कहा कि हम हर सरकार, राज्य सरकारों और केंद्र सरकारों, दोनों के साथ अच्छा समन्वय बनाए हुए हैं। लेकिन कुछ व्यवस्थाएँ ऐसी भी हैं जिनमें कुछ आंतरिक विरोधाभास हैं।
भागवत ने कहा कि कुल मिलाकर व्यवस्था वही है, जिसका आविष्कार अंग्रेजों ने शासन करने के लिए किया था। इसलिए, हमें कुछ नवाचार करने होंगे। फिर, हम चाहते हैं कि कुछ हो। भले ही कुर्सी पर बैठा व्यक्ति हमारे लिए पूरी तरह से समर्पित हो, उसे यह करना ही होगा, और वह जानता है कि इसमें क्या-क्या बाधाएँ हैं। वह ऐसा कर भी सकता है और नहीं भी। हमें उसे वह स्वतंत्रता देनी होगी। कहीं कोई झगड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि तो इन सब बातों से ऐसा लगता है कि झगड़ा है। लेकिन संघर्ष तो हो सकता है, झगड़ा नहीं है, क्योंकि लक्ष्य एक ही है, और वो है हमारे देश का भला।
उन्होंने कहा कि हमारे यहाँ मतभेद हो सकता, पर मन भेद नहीं है। क्या आरएसएस सब कुछ तय करता है? यह बिल्कुल गलत है। ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता। मैं कई सालों से संघ चला रहा हूँ और वे सरकार चला रहे हैं। इसलिए हम सिर्फ़ सलाह दे सकते हैं, फ़ैसला नहीं ले सकते। अगर हम फ़ैसला कर रहे होते, तो क्या इतना समय लगता? हम फ़ैसला नहीं लेते। उन्होंने कहा कि भारत की जनसंख्या नीति 2.1 बच्चों की नीति का सुझाव देती है, यानी एक परिवार में तीन बच्चे। हर नागरिक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके परिवार में तीन बच्चे हों।
‘आरएसएस भाजपा के अलावा अन्य राजनीतिक दलों का समर्थन क्यों नहीं करता?’ इस प्रश्न के उत्तर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हम उन लोगों को सहायता प्रदान करते हैं जो अच्छे काम के लिए हमसे मदद मांगते हैं। जब हम सहायता प्रदान करने का प्रयास करते हैं, तो जो लोग हमसे दूर भागते हैं, उन्हें अक्सर वह मदद नहीं मिलती जिसकी उन्हें आवश्यकता होती है, तो हम क्या कर सकते हैं?…लेकिन कभी-कभी, देश चलाने के लिए या किसी पार्टी का काम करने के लिए, यदि वह अच्छा है, तो हमारे स्वयंसेवक जाकर मदद करते हैं…हमें कोई हिचकिचाहट नहीं है। पूरा समाज हमारा है। यदि उनकी ओर से कोई बाधा आती है…।” आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत की जनसंख्या नीति 2.1 बच्चों की है, जिसका मतलब है कि एक परिवार में तीन बच्चे होने चाहिए। प्रत्येक नागरिक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके परिवार में तीन बच्चे हों।