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जोर से छींक दिया तो भी ट्रंप निकाल फेकेंगे अपने देश से बाहर? भारतीयों के साथ ये कैसी दोस्ती निभा रहा अमेरिका

अमेरिका में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मामूली अपराधों को लेकर छात्रों के खिलाफ अब इतने सख्त कदम उठाए जा रहे हैं, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया था। अमेरिकी अधिकारियों ने अब उन छात्रों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है, जिन पर मामूली से नियम उल्लंघन के आरोप हैं। इनमें से कुछ में यातायात उल्लंघन भी शामिल है। पिछले कुछ दिनों में, अमेरिका में दर्जनों भारतीय छात्रों को उनके नामित स्कूल अधिकारियों (DSO) से ईमेल प्राप्त हुए, जिसमें कहा गया कि उनका F-1 छात्र वीजा अब वैध नहीं है और उन्हें तुरंत देश छोड़ने का निर्देश दिया गया। ईमेल में छात्रों के पिछले आपराधिक आरोपों का हवाला दिया गया है। इनमें लेन बदलने से लेकर नशे में गाड़ी चलाने और यहां तक ​​कि दुकानों में चोरी करने तक के आरोप शामिल हैं।

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अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 30 मार्च को सबसे पहले रिपोर्ट की थी कि अमेरिका में सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय छात्रों को कैंपस एक्टिविज्म के कारण स्व-निर्वासन के लिए ईमेल मिल रहे थे। इमिग्रेशन वकीलों ने कहा कि छात्रों ने सोशल मीडिया पोस्ट शेयर करने जैसी हानिरहित बात के लिए भी अपना वीजा गंवा दिया। इन ईमेल्स में लिखा है कि SEVIS रिकॉर्ड समाप्त होने के बाद अब आपके पास वैध F-1 नॉन-इमिग्रेशन स्टेटस नहीं है। इसका मतलब है कि अब आपको कानूनी रूप से अमेरिका में रहने की अनुमति नहीं है। स्पष्ट रूप से कहा जाए तो आपका I-20 फॉर्म अब वैध नहीं है और आपका EAD (रोज़गार प्राधिकरण दस्तावेज़) भी अब मान्य नहीं है। इसका तात्पर्य यह है कि अब आपके पास अमेरिका में काम करने का अधिकार भी नहीं है। 

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इसमें कहा गया है कि अगर आपका वीजा रद्द कर दिया गया है, तो इसका मतलब है कि आपके पासपोर्ट में मौजूद F-1 वीजा अब वैध नहीं है। अगर आप अमेरिका में हैं, तो आपको तुरंत प्रस्थान की योजना बनाने की ज़रूरत हो सकती है। मिसौरी, टेक्सास और नेब्रास्का समेत अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को हाल ही में ईमेल मिले हैं। टीओआई ने कम से कम पाँच ऐसे छात्रों से बात की, जिन्हें पिछले 15 दिनों में ईमेल मिले हैं। होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के अनुसार, इनमें से प्रत्येक अपराध के लिए निर्वासन हो सकता है, लेकिन अमेरिका में इमिग्रेशन वकीलों का कहना है कि अतीत में, इनके कारण शायद ही कभी निर्वासन हुआ हो। 

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