Breaking News

G7 का इटली मेजबान, कई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष मेहमान, लेकिन सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस की मौजूदगी रहने वाली है खास

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अगले सप्ताह के ग्रुप ऑफ सेवन (जी7) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी द्वारा आमंत्रित 12 अन्य राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों में शामिल होंगे। लंबी गेस्ट लिस्ट G7 के आयोजन को व्यापक बनाने की इटली की इच्छा को दर्शाती है, जो अमीर लोकतांत्रिक देशों का एक इलीट क्लब है जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और यूरोपीय संघ शामिल हैं। 

इसे भी पढ़ें: European Parliament Election: 27 देशों के 35 करोड़ वोटर्स, ऐसा चुनाव जो पूरे यूरोप को बदल देगा

जी-7 क्या है? 
जी का मतलब है ग्रुप और अगर इसमें सात देश हैं तो ये जी-7 हो गया यानी ग्रुप ऑफ सेवन। दुनिया के 7 सबसे बड़े इंडस्ट्रियल देशों का समूह। यह देश हैं अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, इटली, जापान और कनाडा। पहले इसमें रूस भी था तब यह ग्रुप ऑफ 8 था। फिर जब रूस ने क्रीमिया को यूक्रेन से छीन कर खुद में मिला लिया, जिससे बाकी देश नाराज हो गए। उन्होंने 2014 में रूस को इस ग्रुप से बाहर कर दिया। उस साल रूस में ही यह सालाना सम्मेलन होने वाला था। 11 से 13 जून ये 2021 के जी-7 सम्मेलन का कैलेंडर है। जी-7 एक तरह का क्लब है, एकदम पॉश, एलीट, जिसमें दुनिया के सबसे ताकतवर देश इसके मेंबर हैं। ये लोग साल में एक बार मिलकर बैठते है, जो जरूरी लगता है उसपर बात करते हैं। इसी को जी-7 समिट कहते हैं। इस साल ये इटली में हो रहा है। 
ज़ेलेंस्की, पोप फ्रांसिस भी लेंगे हिस्सा
यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की जी7 बैठक में भाग लेंगे। 13 जून को रूस के साथ अपने देश के संघर्ष को समर्पित एक सत्र में शामिल होंगे। अन्य नेता शुक्रवार, 14 जून को वार्ता में भाग लेंगे। इसके साथ ही जी7 के गेस्ट पोप फ्रांसिस भी होंगे। पोप फ्रांसिस  अमीर देशों के क्लब की बैठक में भाग लेने वाले पहले पोंटिफ होंगे। वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा उत्पन्न जोखिमों और अवसरों को समर्पित एक सत्र में मुख्य वक्ता होंगे।

इसे भी पढ़ें: बाइडन और ट्रंप ने कुछ राज्यों में अपनी पार्टी का प्राइमरी चुनाव जीता

संभ्रांतवादी और अहंकारी होने का लगता रहा आरोप 
आलोचक G7 पर संभ्रांतवादी और अहंकारी होने का आरोप लगाते हैं। इतने सारे मेहमानों को आकर्षित करके, इटली को चीन के साथ संबंधों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर आम सहमति बनाने की उम्मीद है। साथ ही वैश्विक दक्षिण, विशेष रूप से अफ्रीका की समस्याओं पर भी ध्यान आकर्षित करने की उम्मीद है। पिछले पिछले दो मेजबान देशों, जर्मनी और ब्रिटेन ने केवल पांच-पांच को आमंत्रित किया है। 2009 में पूर्व इतालवी प्रधान मंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी ने 22 विश्व नेताओं को भाग लेने के लिए कहा था।

Loading

Back
Messenger