अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका द्वारा यूक्रेन को अब तक की गई सैन्य और आर्थिक मदद की कीमत वसूलने में कामयाब हो गए हैं। अमेरिका और यूक्रेन के बीच मीनिरल डील हो गई है। डील को लेकर रूस ने यूक्रेन पर तंज भी कसा है। वहीं रूस और यूक्रेन के बीच की जंग अभी भी जारी है। ट्रंप प्रशासन दोनों देशों के बीच शांति समझौता करवाने की पूरी कोशिश कर रहा है। लेकिन दोनों पक्षों की ओर से आ रहे बयानों से लगता है कि शांति समझौते में अभी कुछ और वक्त लग सकता है। भले ही ट्रंप को रूस और यूक्रेन के बीच शांति समझौता कराने में अबतक सफलता नहीं मिली हो। लेकिन कीव के साथ खनिज समझौता कर अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक साथ कई निशाने साध लिए हैं। यूक्रेन के साथ रेयर अर्थ मिनिरल्स को लेकर डील कर ट्रंप ने न सिर्फ चीन पर अपनी निर्भरता कम करने में सफलता हासिल कर ली। बल्कि पुतिन को भी यूक्रेन के साथ सम्मानजनक समझौते पर विचार करने को मजबूर कर दिया।
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क्यों हुआ यह समझौता ?
रूस के फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका ने अब तक करीव 120 डॉलर विलियन की सहायता दी है। ट्रंप ने दावा किया था कि यूक्रेन को पहले मिली सहायता का मुआवजा मिलना चाहिए और उन्होंने 500 बिलियन डॉलर की मांग की थी। जेलेंस्की ने यह मांग ठुकरा दी थी, लेकिन लंवे निवेश के बदले एक नया समझौता स्वीकार कर लिया। यूक्रेन दुनिया के 5% दुर्लभ खनिज, 20% ग्रेफाइट, और यूरोप के सवसे बड़े लिथियम भंडारों में से एक का मालिक है।
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समझौते में क्या है?
जॉइंट रिकंस्ट्रक्शन इन्वेस्टमेंट फंड बनेगा, जिसमें अमेरिका और यूक्रेन दोनों की बराबर हिस्सेदारी होगी।
पहले 10 साल तक सारा निवेश यूक्रेन की खनिज, तेल-गैस और प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में ही होगा।
फंड के मुनाफे का इस्तेमाल केवल यूक्रेन में किया जाएगा।
अमेरिका की ओर से दी गई नई सैन्य मदद को इस फंड में उसका योगदान माना जाएगा।
अमेरिका को यूक्रेन की जमीन, संसाधनों पर सीधा अधिकार नहीं।