भारत द्वारा अरुणाचल प्रदेश में 11 स्थानों के नाम बदलने के चीन के फैसले को दृढ़ता से खारिज करने के बाद भी चीन लगातार इस बार पर अड़ा है किज़ंगनान उनके देश के क्षेत्र का हिस्सा है और चीन के संप्रभु अधिकारों के भीतर है। 5 अप्रैल को चीनी प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि भारतीय अरुणाचल प्रदेश (हान चीनी में ज़ंगनान) चीन के क्षेत्र का हिस्सा था और इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों के नाम बीजिंग द्वारा अपने संप्रभु अधिकारों के हिस्से के रूप में मानकीकृत किए गए। 2017 के बाद से चीन ने दक्षिण तिब्बत के रूप में दावा करने की अपनी रणनीति के हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश में 32 भौगोलिक स्थानों का नाम बदल दिया है। अरुणाचल में छह स्थानों के मानकीकृत नामों का पहला बैच 2017 में जारी किया गया था, और 15 स्थानों का दूसरा बैच 2021 में जारी किया गया था।
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पश्चिमी और पूर्वी दोनों क्षेत्रों पर दावा ठोकता है चीन
चीन के साथ लगी 3488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दावों-प्रतिदावों के बीच द्विपक्षीय स्थिति यह है कि बीजिंग 1960 के बाद पश्चिमी और पूर्वी दोनों क्षेत्रों पर अपना दावा ठोक दिया है। वहीं ये कहा गया कि यदि भारत पश्चिमी क्षेत्र में मध्य-राज्य के दावों को स्वीकार करता है तो चीन पूर्वी क्षेत्र पर अपना दावा छोड़ने को तैयार है। भूमि सीमा के समाधान पर चीनी स्थिति अपनी सुविधा और अपने वैश्विक प्रभाव के अनुसार बदल गई है, भारतीय स्थिति 1950 में कम्युनिस्ट चीन की सेना द्वारा तिब्बत पर कब्जे के बाद से लगातार बनी हुई है। भारत पूरे अक्साई चीन (1865 जॉनसन लाइन के अनुसार) पर दावा करता है।
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भारत इस तरह दे सकता है जवाब
यह देखते हुए कि चीन पहली मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में अपने दावे को मजबूत कर रहा है। इसके अलावा भारतीय सेना को अपनी परिभाषित सीमा के भीतर गश्त करने की अनुमति नहीं दे रहा है और 2017 के बाद से अरुणाचल प्रदेश में भौगोलिक स्थानों का नाम भी बदलने की गुस्ताखी कर रहा है। ऐसे में क्या भारत को “चीनीकृत” नामों को भी नहीं बुलाना चाहिए। वैसे भी तिब्बती भाषा चीन की मैंडरिन से नहीं बल्कि भारत की संस्कृत से ली गई है। इन जगहों के नाम होटन, काशगर, और ताशिकुरगन के साथ-साथ पूर्वी तुर्केस्तान आदि हैं। जबकि भारत ने पूर्व में अक्साई चिन और पश्चिम में कब्जे वाले कश्मीर के साथ-साथ उत्तरी क्षेत्रों का दावा करते हुए एक नक्शा प्रकाशित किया है। लेकिन भारत ने 1954 से अक्साई चिन के भीतर शहरों और भौगोलिक स्थानों का नामकरण करने वाला नक्शा प्रकाशित नहीं किया है।