Breaking News

धरती की जन्नत Kashmir को जहन्नुम बनाने वाले Gupkar नेता अब्दुल्ला के मुँह से निकला सच, विवाद हुआ तो दी सफाई

अपनी परिवारवादी राजनीति के चलते जम्मू-कश्मीर को जहन्नुम बनाने वाले गुपकार नेताओं के मुंह से आखिरकार निकल ही गया कि कश्मीर जहन्नुम में जाये। हम आपको बता दें कि श्रीनगर से लोकसभा सदस्य फारूक अब्दुल्ला ने यह कहकर विवाद पैदा कर दिया है कि ‘कश्मीर को जहन्नुम में जाने दो।’ जब उनका बयान वायरल हुआ तो वह सफाई देते फिर रहे हैं। अब अब्दुल्ला ने अपने बयान पर सफाई देते हुए उलटे भाजपा पर आरोप लगा दिया है कि उसने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर का दर्जा घटा केंद्र शासित प्रदेश कर उसे नर्क में तब्दील कर दिया। अब्दुल्ला ने अपने स्पष्टीकरण में, जम्मू-कश्मीर का दर्जा घटाने और पूर्ववर्ती राज्य का विभाजन करने तथा पिछले चार वर्षों से चुनाव नहीं कराने जैसे मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कश्मीर में आग नहीं लगाई है। जम्मू-कश्मीर स्वर्ग था। इसे नर्क में किसने तब्दील कर दिया? क्या हम दिलों को जीत पाए हैं? अगर देश में कहीं भी चुनाव हो सकते हैं तो कश्मीर में क्यों नहीं?’’ उन्होंने मीडिया के एक वर्ग पर देश में नफरत को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और सलाह दी कि मीडिया का इस्तेमाल दिल जीतने के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे कई दुश्मन हैं और इस समय इस तरह की नफरत फैलाने से हम केवल कमजोर होंगे।’’

इसे भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर में धारा 370 लाने के लिए नेहरू नहीं जिम्मेदार, फारूक अब्दुल्ला बोले- सरदार पटेल वहां थे

इससे पहले, अब्दुल्ला ने कहा कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू अनुच्छेद 370 के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 निरस्त करने के केंद्र के फैसले को उच्चतम न्यायालय द्वारा बरकरार रखने जाने पर निराशा जताते हुए यह बात कही थी। पूर्ववर्ती राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘नेहरू उस वक्त अमेरिका में थे जब कैबिनेट की बैठक हुई थी। जब फैसला लिया गया था उस वक्त श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी मौजूद थे।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या यह अनुच्छेद निरस्त किये जाने से जम्मू कश्मीर में विकास की शुरुआत हुई है, उन्होंने कहा, ‘‘जाकर खुद देख लीजिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि चुनाव हो। हम उम्मीद कर रहे थे कि यदि उच्चतम न्यायालय (अनुच्छेद) 370 हटाएगा तो उन्हें तत्काल चुनाव कराने के लिए कहा जाएगा। उन्हें सितंबर (2024) तक का वक्त दिया गया, इसका क्या मतलब है?’’ राज्य के दर्जा के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि वे इस पर बाद में बात करेंगे। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर भारत के दावे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘यह निर्णय सरकार को लेना है। हमने किसी को कभी नहीं रोका है…।”
हम आपको यह भी बता दें कि भाजपा अब्दुल्ला सरकार और उनकी पूर्ववर्ती सरकारों पर जम्मू-कश्मीर की देखरेख सही तरीके से नहीं करने का आरोप लगाती रही है, जिसके कारण तत्कालीन राज्य में आतंकवाद बढ़ा था।

Loading

Back
Messenger