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बलिया जिला अस्पताल में शव वाहन के लिए गुहार लगाते रहे परिजन, घंटों टालमटोल और हंगामे के बाद हुआ इंतजाम

📰 बलिया में एक बार फिर जिला अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। बेरिया थाना क्षेत्र के सुरेमनपुर निवासी कौशल यादव (35) की इलाज के दौरान मौत के बाद परिजन अस्पताल में घंटों तक शव वाहन के लिए भटकते रहे। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के अधिकारियों ने मदद करने के बजाय जिम्मेदारी एक-दूसरे पर थोपते हुए उन्हें परेशान किया।

🛑 मृतक के भाई कृष्णा यादव ने बताया कि शुक्रवार सुबह करीब 6 बजे कौशल को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे थे, जहां करीब 11 बजे इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मौत के बाद शव ले जाने के लिए परिजन जब शव वाहन के लिए सीएमएस कार्यालय पहुंचे तो उन्हें वहां से टका-सा जवाब मिला।

🚑 परिजनों के अनुसार, सीएमएस डॉ. एस.के. यादव ने शव वाहन उपलब्ध कराने के बजाय एम्बुलेंस नोडल अधिकारी डॉ. विनेश कुमार का हवाला देते हुए कहा—”जाओ, नोडल से बात करो!” इस परिजनों ने नाराज होकर सीएमएस कार्यालय में जमकर हंगामा किया। काफी देर के बाद सीएमएस ने किसी तरह डीजल की व्यवस्था कर शव को गांव भेजने का प्रबंध कराया।

😡 पांच दिन से शव वाहनों में डीजल खत्म! सूत्र बताते हैं कि जिला अस्पताल में संचालित शव वाहनों में पिछले पांच दिनों से डीजल नहीं है, लेकिन अधिकारियों के बावजूद भी अस्पताल प्रशासन पूरी तरह बेपरवाह बना हुआ है। हैरानी की बात यह है कि लगातार शिकायतों के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी ने स्थिति सुधारने की जहमत तक नहीं उठाई।

📢 जब इस मामले में नोडल अधिकारी डॉ. विनेश कुमार से सवाल पूछा गया तो उन्होंने चिर-परिचित सफाई देते हुए कहा—डीजल पर्याप्त है… खत्म होने की जानकारी नहीं मिली है।” उनका यह बयान अस्पताल की जमीनी हकीकत से पूरी तरह अलग नजर आया।

🔍 ऐसे समय में, जब परिवार शोक में डूबा हो, अस्पताल का उन्हें इस तरह दर-दर भटकाना न सिर्फ अमानवीय है बल्कि सरकारी सिस्टम की गंभीर लापरवाही को भी उजागर करता है। सवाल यह है कि अगर शव वाहन तक के लिए डीजल नहीं मिल पा रहा, तो अन्य स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल होगा?

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