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7-8 साल की उम्र के छह बच्चों समेत 14 लोगों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया, दो आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज

बाल मजदूरी करवाना भारत में अपराध होता है लेकिन कई बार परिस्थितियां ये अपराध करने पर मजबूर कर देती है। गरीब घर के बच्चे अपने परिवार का पेट पालने के लिए बेहद कम उम्र से ही काम करना शुरू कर देते हैं और कुछ लोग मौके का फायदा उठाकर उनसे कम पैसों में खूब काम करवाते हैं और प्रताड़ित करते हैं। बंधुआ मजदूरी से जुड़ा ताजा मामला महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले सामने आया है जहां फिल्मी स्टाइल में दो बच्चें बंधुआ मजदूरी के चुंगल से भाग निकले।

 

महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले से पुलिस ने सात से आठ साल की उम्र के छह बच्चों समेत 14 लोगों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया है। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि बंधुआ मजदूरी का मामला तब सामने आया जब दो बच्चे बीड जिले में दो आरोपियों के घरों से भाग निकले, जहां उन्हें और उनके माता-पिता को कथित तौर पर कठिन काम करने के लिए मजबूर किया जाता था।

अहिल्यानगर थाने के एक अधिकारी ने बताया कि पीड़ित पुणे और रायगढ़ जिलों के रहने वाले हैं।
अधिकारी ने बताया कि बीड के अंबोरा निवासी आरोपी विजू सेठ और उत्तम सेठ पिछले डेढ़ साल से उनसे काम करा रहे थे।
एक अन्य बच्चे के साथ भागे आठ वर्षीय बाल मजदूर ने पुलिस को बताया कि उनसे गोबर इकट्ठा करने, मवेशियों के बाड़े साफ करने, लकड़ी लाने और जंगल में मवेशी चराने का काम कराया जाता था।

कार्यकर्ताओं के अनुसार हालांकि पीड़ितों को 12 जुलाई को मुक्त करा लिया गया था लेकिन पुलिस ने अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया था।
राज्य स्तरीय आदिवासी विकास आढावा समिति के विवेक पंडित ने बताया कि विरोध प्रदर्शनों के बाद पुलिस ने मंगलवार रात मामला दर्ज किया जबकि राजस्व अधिकारियों ने पीड़ितों को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में सक्षम बनाने के लिए मुक्ति प्रमाणपत्र जारी किए।

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