प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 2014 से अब तक की उपलब्धियों का आकलन करने वाली एक नयी पुस्तक में कहा गया है कि विपक्षी दलों को रचनात्मक रूप से सरकार का विरोध करना चाहिए और ठोस वैकल्पिक नीतियां बनानी चाहिए।
‘मोदी : द चैलेंज ऑफ 2024 – द बैटल फॉर इंडिया’ में लेखक मिन्हाज मर्चेंट ने 2012 के बाद से मोदी के साथ अपनी मुलाकातों का हवाला देते हुए 2024 के ऐतिहासिक लोकसभा चुनावों से पहले आर्थिक सुधारों, भू-राजनीति, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर प्रधानमंत्री की सोच को समझने की कोशिश की है।
अमेरीलिस द्वारा प्रकाशित पुस्तक इस बात की भी पड़ताल करती है कि क्या संयुक्त मोर्चा पेश करने की विपक्ष की रणनीति भाजपा के चुनावी रथ को पटरी से उतार सकती है।
मर्चेंट का कहना है कि यह पुस्तक मोदी की जीवनी नहीं है।
उनका कहना है, ‘‘यह पुस्तक प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के पांच साल के दो कार्यकाल पर केंद्रित है। सत्ता में लगभग एक दशक के बाद, मोदी अर्थव्यवस्था में सुधार करने में कितने सफल रहे हैं? क्या वैश्विक जटिलताओं के बीच उनकी विदेश नीति भारत को एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर रही है?’’
मोदी के प्रधानमंत्रित्व काल का सारांश देते हुए, मर्चेंट लिखते हैं, ‘‘पिछले नौ वर्षों में, मोदी एक राज्य-स्तरीय नेता से एक राष्ट्रीय नेता, एक समर्पित नेता और अंततः एक वैश्विक नेता बन गए हैं। ऐसा करने में, मोदी ने वाजपेयी की रणनीति- ‘चुनाव के दौरान कट्टर हिंदुत्व योद्धा, गरीब समर्थक मसीहा और विदेश में शांत वैश्विक राजनेता’- का उपयोग किया है।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘हम चुनाव प्रचार रैलियों में मोदी का उग्र रूप देखते हैं, जिसमें एक मसीहा जैसा स्पर्श भी होता है, जैसे- 80 करोड़ संकटग्रस्त भारतीयों को मुफ्त भोजन और सब्सिडी प्रदान करना। अंत में, वह जी20 के नेता के रूप में वैश्विक मामलों में एक राजनेता जैसी भूमिका भी निभाते हैं।’’
लेखक के मुताबिक, 2024 का लोकसभा चुनाव अगले दशक के लिए भारतीय राजनीति की दिशा तय कर सकता है।
वह कहते हैं, ‘‘भारत 2026-27 तक अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है, 2024 एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।’’
पुस्तक में कहा गया है कि अगर मोदी प्रधानमंत्री के रूप में तीसरा कार्यकाल हासिल कर लेते हैं, तो वह जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीन बार पांच-पांच साल का प्रधानमंत्री कार्यकाल हासिल करने वाले पहले भारतीय नेता होंगे।
इसमें कहा गया है कि विपक्ष जानता है कि संभवतः मोदी को रोकने का एकमात्र तरीका 2024 में उनके खिलाफ एकजुट मोर्चा पेश करना है।