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Delhi Ordinance Row पर आप सांसद Raghav Chadda ने जगदीप धनखड़ को लिखी चिट्ठी, कहा- राज्यसभा में पेश करने से रोकें

दिल्ली सरकार की शक्तियों को लेकर उपराज्यपाल वीके सक्सेना और आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच गतिरोध जारी है। इसी बीच केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश का आम आदमी पार्टी लगातार विरोध कर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल इसे दिल्ली की चुनी हुई सरकार की शक्तियों को छिनने वाला अध्यादेश बता रहे है।
 
दिल्ली की आम आदमी पार्टी लगातार इस अध्यादेश का विरोध कर रही है। राज्यसभा में इस विधेयक को पेश करनी की बात कही जा रही है जिसका आम आदमी पार्टी जोर शोर से विरोध कर रही है। इस संबंध में आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ो को पत्र लिख चुके है। इसमें उन्होंने कहा कि ये अध्यादेश चुनी हुई सरकार के अधिकारों को छीनता है। ये अनुचित और अस्वीकार्य है।
 
चड्ढा ने पत्र में विधेयक को ‘असंवैधानिक’ करार दिया है और राज्यसभा के सभापति से भाजपा नीत केंद्र सरकार को इसे वापस लेने का निर्देश देने तथा “संविधान को बचाने” का आग्रह किया। केंद्र सरकार ने दिल्ली में ‘ग्रुप-ए’ के अधिकारियों के स्थानांतरण व पदस्थापन को लेकर एक प्राधिकरण बनाने के लिए 19 मई को अध्यादेश जारी किया था। इससे पहले 11 मई को उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, लोक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर सभी सेवाओं पर नियंत्रण शहर की निर्वाचित सरकार को सौंप दिया था। 
 
अध्यादेश में दिल्ली, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दमन एवं दीव और दादर एवं नगर हवेली (सिविल) सेवाएं (दानिक्स) कैडर ‘ग्रुप-ए’ अधिकारियों के स्थानांतरण और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान है। शीर्ष न्यायालय के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापन पर उपराज्यपाल का नियंत्रण था।
 
चड्ढा ने धनखड़ को लिखे पत्र में कहा, “उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने आम सहमति से माना है कि संवैधानिक आवश्यकता के अनुसार, दिल्ली सरकार में सेवारत सिविल सेवक सरकार के निर्वाचित अंग यानी मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली निर्वाचित मंत्रिपरिषद के प्रति जवाबदेह हैं।” उन्होंने कहा कि जवाबदेही की यह कड़ी सरकार के लोकतांत्रिक और लोकप्रिय रूप से जवाबदेह मॉडल के लिए “महत्वपूर्ण” मानी जाती है। चड्ढा ने अध्यादेश को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए कहा कि इसकी जगह लाया जाने वाला विधेयक पहली नजर में ‘अनुचित’ है क्योंकि शीर्ष अदालत के फैसले के विपरीत, दिल्ली सरकार से सेवाओं पर नियंत्रण छीनने की कोशिश करने से अध्यादेश की कानूनी वैधता नहीं रह गई है।

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