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Atul Subhash case: आप क्यों नहीं चाहते कि जांच हो? HC ने निकिता सिंघानिया से पूछा सवाल

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कथित आत्महत्या मामले में बेंगलुरु के तकनीकी विशेषज्ञ अतुल सुभाष की निकिता सिंघानिया के खिलाफ एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि वह सिंघानिया के खिलाफ दायर शिकायत को रद्द नहीं कर सकती क्योंकि शिकायत में प्रथम दृष्टया अपराध के तत्व सामने आ रहे हैं। एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस आर कृष्ण कुमार ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आगे की जांच पर रोक लगाने से इनकार करते हुए पूछा ऐसे मामले में शॉर्ट-सर्किट जांच का सवाल कहां है, आप क्यों नहीं चाहते कि जांच हो?

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इससे पहले, बेंगलुरु की एक सिटी सिविल कोर्ट ने शनिवार को सुभाष की पत्नी, उनकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया को जमानत दे दी थी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, तीनों आरोपी अदालत में पेश हुए। 34 वर्षीय तकनीकी विशेषज्ञ ने अपनी अलग रह रही पत्नी और उसके परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए 9 दिसंबर को बेंगलुरु में अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। 

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सुभाष ने आरोप लगाया था कि उनके ससुराल वालों ने तलाक के लिए उन पर 3 करोड़ रुपये देने का दबाव डाला था। उनके 40 पन्नों के सुसाइड नोट और डेढ़ घंटे के एक वीडियो के आधार पर जिसमें उन्होंने उस स्थिति को समझाया जिसके कारण उन्हें यह कठोर कदम उठाना पड़ा।

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