जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को गणतंत्र दिवस पर देशवासियों से भारत को ज्ञानवान लोगों का देश बनाने का आह्वान किया।
जयपुर के पास जामडोली स्थित केशव विद्यापीठ में गणतंत्र दिवस समारोह में लोगों का अभिनंदन करते हुए भागवत ने राष्ट्रीय ध्वज में रंगों के महत्व को भी बताया।
उन्होंने कहा कि लोगों को आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए और इसे पूरा करने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि एक गणराज्य के नाते हम अपने देश को ज्ञानवान लोगों का देश बनायेंगे.. त्यागी लोगों का देश बनायेंगे और दुनिया के हित में सतत कर्मशील रहने वाले लोगों का देश बनायेंगे।’’
उन्होंने कहा कि हमारी सार्वभौम प्रभुसत्ता का प्रतीक तिरंगा हम उत्साह, आनंद और अभिमान से फहराते है। तिरंगे में ही हमारा गंतव्य नीहित है, हमको भारत को भारत के नाते दुनिया में बड़ा करना है।’’
राष्ट्रीय ध्वज के रंगों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि केसरिया रंग की सबसे ऊपर की पट्टी भारत की प्रकृति का परिचायक है और वो हमारे सनातन जीवन का प्रतीक है। भगवा रंग (केसरिया रंग) ज्ञान, त्याग और कर्मशीलता का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि दिशा नहीं है तो ज्ञान घातक होता है…, क्योंकि विद्या विवाद का कारण बनती है और शक्ति दुर्बलों को कष्ट देने का कारण बनती है, इसलिये दिशा का होना अनिवार्य है और इसके लिये सर्वत्र पवित्रता का प्रतीक सफेद रंग हमारे ध्वज में दूसरा रंग है।
उन्होंने कहा कि देशवासियों को अंदर और बाहर से शुचिता से युक्त बनना है क्योंकि जो अंदर-बाहर से पवित्र है वो कभी दूसरों का बुरा नहीं चाहता है, बल्कि भलाई करना चाहता है।
उन्होंने कहा कि जो उदार बुद्धि और शुद्ध मन से आगेबढते हैं, पवित्र व्यवहार करते हैं, वे तो सबको अपना मानकर चलते हैं, नागरिकों को ऐसा बनना है।
भागवत ने कहा कि इससे सर्वत्र समृद्धि आयेगी और रोटी, कपडा, मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा, अतिथि सत्कार समेत किसी बात की किसी को कमी नहीं रहेगी और पर्यावरण का वैभव (जिसका क्षरण हो रहा है) वापस आ जायेगा। नदियां भरपूर बहती रहेंगी, वृक्ष, फल, औषधियां अपने-अपने उत्पाद से जीवन सृष्टि को समृद्ध करती रहेंगी।
भागवत ने कहा कि आज के दिन लोगों को संविधान सभा के पूर्ण विचार विनिमय के बाद बना संविधान लोकपर्ण करते हुए डॉ. आंबेडकर ने जो दो भाषण संसद में किये हैं उसे सबको एक बार पूरा पढ़ना चाहिए।
भागवत ने कहा कि आंबेडकर ने बताया कि कर्त्तव्य क्या है। उन्होंने बताया कि अब देश में किसी भी प्रकार गुलामी नहीं है, रूढ़िगत गुलामी भी नहीं है, अंग्रेज भी चले गये हैं, लेकिन सामाजिक विषमता के चलते जो गुलामी आयी थी उसको हटाने के लिये राजनीतिक समानता और आर्थिक समानता का प्रावधान हमारे संविधान में कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने कहा कि अपना देश आपस में लड़कर गुलाम हो गया, किसी दुश्मन के समार्थ्य के कारण नहीं। हम लोग आपस में लड़ते रहे, इसलिये गुलाम हो गये.. हमारा बंधुवाद समाप्त हो गया। स्वतंत्रता और समता एकसाथ लानी है तो दूसरा इलाज नहीं, बंधुभाव लाना चाहिए। इसलिये स्वतंत्रता और समानता के साथ बंधुत्व शब्द हमारे संविधान में है।
उन्होंने कहा कि बाबा साहब कहते थे कि उस बंधुत्व भाव को संपूर्ण देश में प्रचलित करना पड़ेगा।
भागवत ने कहा कि हमारा समाज विविधता के बावजूद बंधुता से युक्त होता है तो स्वत्रंता के साथ समानता की गारंटी बनता है और बहुत कष्ट और बलिदान से हासिल स्वतंत्र की रक्षा और अमरता की भी यह गारंटी बनता है। उन्होंने कहा कि यह गारंटी देने का काम कोई ओर नहीं करेगा, हमको खुद से प्रारंभ करना पड़ेगा।