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कोलकाता के ऐतिहासिक रेड रोड पर हनुमान चालीसा पाठ आयोजित करने की अनुमति देने से अदालत का इनकार

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कोलकाता के प्रतिष्ठित रेड रोड पर हनुमान चालीसा पाठ कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देने से शनिवार को इनकार कर दिया और आयोजक को कार्यक्रम के लिए कोई अन्य स्थान चुनने के लिए कहा है।

याचिकाकर्ता ने अदालत का रुख करके दावा किया था कि पुलिस ने वैकल्पिक स्थान की पेशकश की है। इसने 12 अप्रैल को रेड रोड पर ही पाठ करने देने का अनुमति मांगी।

मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवज्ञानम की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने आयोजक को रेड रोड के अलावा कोई अन्य स्थान चुनने को कहा। खंडपीठ में न्यायमूर्ति चैताली चटर्जी (दास) भी शामिल थीं।

पुलिस ने प्रस्तावित स्थान पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि इससे यातायात जाम हो जाएगा।
याचिकाकर्ता ने न्यायमूर्ति तीर्थांकर घोष की एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें रेड रोड पर कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था।

खंडपीठ ने शनिवार को एकल पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दी।
याचिकाकर्ता ने कोलकाता पुलिस से 12 अप्रैल को सुबह पांच बजे से पूर्वाह्न 11 बजे के बीच रेड रोड पर पाठ आयोजित करने की अनुमति मांगी थी और 3,000 लोगों के शामिल होने की उम्मीद जताई थी।

याचिकाकर्ता ने कहा कि पुलिस ने यातायात जाम, आम जनता को होने वाली असुविधा और कानून-व्यवस्था से जुड़े मुद्दों का हवाला देते हुए एक वैकल्पिक स्थल की पेशकश की है।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि 31 मार्च को एक अन्य समुदाय को पुलिस की अनुमति से उसी स्थल पर ईद की नमाज अदा करने की अनुमति दी गई थी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम दुर्गा पूजा कार्निवल हर साल रेड रोड पर आयोजित किया जाता है।

इसके अतिरिक्त, यह भी कहा गया कि जिस भूमि पर कार्यक्रम आयोजित करने का प्रस्ताव है, वह सेना की है और 12 अप्रैल को हनुमान चालीसा पाठ आयोजित करने के लिए सेना के अधिकारियों से अनुमति पहले ही प्राप्त कर ली गई थी।

जब अदालत ने पूछा कि क्या याचिकाकर्ता ने पहले भी इस स्थल पर कोई कार्यक्रम आयोजित किया है, तो याचिकाकर्ता के वकील ने जवाब दिया कि पहली बार कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई गई है।

उन्होंने कहा, “बारह अप्रैल का दिन महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भगवान हनुमान की जयंती है।”
पश्चिम बंगाल के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने दलीलों का विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ता को ऐसा करने का अपना अधिकार साबित करना होगा।

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