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Gopal Khemka Murder case: नीतीश बोले, दोषी को भी बख्शा नहीं जाएगा, तेजस्वी का सवाल- क्या अब भी ये जंगलराज नहीं?

पटना के प्रमुख व्यवसायी और भाजपा नेता गोपाल खेमका की गांधी मैदान स्थित उनके आवास के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई। सीसीटीवी फुटेज में एक बाइक सवार हमलावर खेमका का इंतजार करता हुआ दिखाई दे रहा है, जो एक सुनियोजित हत्या का संकेत है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कानून-व्यवस्था की समीक्षा बैठक की और कहा कि किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। नीतीश ने एक्स पर लिखा कि 1 अणे मार्ग स्थित ‘संकल्प’ में पुलिस महानिदेशक एवं अन्य वरीय पुलिस पदाधिकारियों के साथ विधि व्यवस्था की समीक्षा बैठक की। विधि व्यवस्था सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। 
 

नीतीश कुमार ने साफ तौर पर कहा कि अपराध करने वाले कोई भी हों, उन्हें किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाए। घटित आपराधिक घटनाओं के अनुसंधान कार्यों में तेजी लाने और दोषियों पर त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस और प्रशासन को पूरी मुस्तैदी एवं कड़ाई से कार्य करने का निर्देश दिया है। गोपाल खेमका की हत्या को लेकर बिहार में सियासत तेज हो गई है। 
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा कि थाना से चंद कदम दूर पटना में बिहार के बड़े व्यापारी की गोली मारकर हत्या! हर महीने बिहार में सैकड़ों व्यापारियों की हत्या हो रही है लेकिन जंगलराज नहीं कह सकते? क्योंकि इसे ही शास्त्रों में मीडिया प्रबंधन, परसेप्शन मैनेजमेंट और छवि प्रबंधन कहते है। लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने एक्स पर लिखा कि नीतीश नीत राक्षसराज में बिहार में कानून – व्यवस्था की अंत्येष्टि हो चुकी है। राजधानी पटना के साथ – साथ पूरे सूबे में बेलगाम अपराध का आलम तो कुछ ऐसा है कि अगर किसी दिन ये सुनने को मिले कि बेखौफ अपराधियों ने दिनदहाड़े मुख्यमंत्री आवास में घुस कर किसी वारदात को अंजाम दे दिया तो कोई आश्चर्य नहीं होगा..!! 
 

उन्होंने आगे कहा कि वर्त्तमान बिहार की कड़वी व् दुःखद सच्चाई तो यही है कि “नक्कारेपन की पराकाष्ठा पार कर चुकी नीतीश कुमार जी की सरपरस्ती वाली नक्कारी सरकार के शासन में पूरा पुलिस – प्रशासनिक महकमा नक्कारों की टोली बना बैठा है, आपराधिक घटनाओं के पश्चात महज खानापूर्ति के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगालना और जाँच , अनुसंधान की खानापूर्ति करने से ज्यादा कुछ भी करने लायक नहीं रह गयी है बिहार की पुलिस” । मुख्यमंत्री – उप – मुख्यमंत्री कानून – व्यवस्था पर समीक्षा बैठकों की औपचारिकता पूरी कर अपनी  जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं और पुलिस महकमे के मुखिया व् जिलों के वरीय पुलिस पदाधिकारीगण घिसी – पिटी , रटी – रटायी बातें दुहरा कर खुद अपनी पीठ थपथपा लेते हैं।

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