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यदि हमारी जनसंख्या की 50 प्रतिशत महिलाएं अपने घरों तक ही सीमित रहेंगी, तो हम सफलता प्राप्त नहीं कर सकते: Maganbhai Patel

लायंस दर्दी सहायक ट्रस्ट और श्रीमती मनोरमाबेन किडनी फाउंडेशन, अपने सेवा कार्यों के लिए विख्यात अहमदाबाद में स्थित लायंस क्लब ऑफ दिग्विजयनगर अपने अनेक सेवा प्रकल्पों के माध्यम से समाज सेवा के कार्य कर रही है,जिसका लाभ समाज के जरूरतमंद लोगों को मिल रहा है। अहमदाबाद के असारवा स्थित सिविल अस्पताल के सामने “दिग्विजय लायंस दर्दी सहायक ट्रस्ट” एवं “श्रीमती मनोरमाबेन.सी.शाह लायंस दिग्विजय किडनी फाउंडेशन” सिविल अस्पताल में आनेवाले आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को चिकित्सा उपचार के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने तथा उनके साथ आनेवाले परिजनों को रियायती दरों पर आवास एवं भोजन की सुविधा उपलब्ध कराने का कार्य करता है,साथ ही जरूरतमंद महिलाओं को रोजगारोन्मुखी बनाने के दृष्टिकोण से हर माह औसतन १२ सिलाई मशीनें भी वितरित की जाती हैं।
हाल ही में दिनांक २१.५.२०२५ को जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार योग्य बनाने के लिए १२ सिलाई मशीन,तीन व्हीलचेयर और एक ट्राइसाइकिल वितरित की गई, जबकि ७.६.२५ को १३ सिलाई मशीन और चार व्हीलचेयर दी गईं, इस प्रकार मई और जून के दो महीनों में कुल २५ सिलाई मशीनें शाम सेवा फाउंडेशन के अध्यक्ष और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मगनभाई पटेल और अन्य गणमान्यों द्वारा दी गईं जिनमें लायंस क्लब के पूर्व गवर्नर महेंद्रभाई शाह,गवर्नर हिरेनभाई मेवाड़ा और एल.के. वाघेला, ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. बिपिनभाई शाह, मैनेजिंग ट्रस्टी चिमनभाई शाह, ट्रस्टी दीपकभाई रावल, चंद्रकांतभाई दलाल और सचिव बकुलभाई पंड्या शामिल थे। इस अवसर पर मगनभाई पटेलने इस ट्रस्ट को हर साल ३६ सिलाई मशीन देने की घोसणा कर के वित्तीय सहायता का चेक संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी चिमनभाई शाह को दिया जिसे उपस्थित सभी लायंस क्लब के सदस्य एव लोगोने तालिओं से स्वागत किया।
इसी तरह अहमदाबाद के सरखेज के न्यू फतेहवाड़ी क्षेत्र में स्थित आजादनगर में “मधुरम शिक्षण संस्कार शिक्षा केंद्र” है जो आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के छात्रों की मदद करने के लिए निस्वार्थ रूप से काम करता है। इस क्षेत्र में अत्यंत गरीब, विधवा और परित्यक्त महिलाएं अपने बच्चों के साथ किराए के मकान में रहती हैं और उनके पास रोजगार का कोई अन्य विकल्प नहीं है। इस क्षेत्र में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने और उनके परिवारों का भरण-पोषण करने के लिए मगनभाई पटेलने अपने खर्चे पर इस क्षेत्र की कुछ महिलाओं को चार सिलाई मशीनें निःशुल्क वितरित की,जिससे इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिली है।
यहां बताना जरूरी है कि मगनभाई पटेल इस क्षेत्र में कई बार आते हैं और अपने खर्च पर बच्चों के लिए शिक्षा का कार्य तथा महिलाओं और पुरुषों के लिए रोजगारोन्मुखी कार्य करके समाज के विकास के लिए निरंतर उत्कृष्ट सेवा कर रहे हैं। यदि समाज का सक्षम और शिक्षित वर्ग इस भगीरथ सेवा में शामिल हो जाए तो कि इस क्षेत्र का कायाकल्प अवश्य हो जाएगा जिसमे कोई संदेह नहीं।
मगनभाई पटेल द्वारा चार सिलाई मशीनें ऐसी महिलाओ को दी गयी है जिनके ऊपर परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी हैं। कुछ महिलाएं अपने पति से अलग दो बच्चों के साथ रहती हैं। जबकि कुछ महिलाओं के पति कारीगर, कबाड़ी और ड्राइवर हैं और प्रत्येक के घर में दो से तीन बच्चे हैं, जिनकी शिक्षा की भी जिम्मेदारी इन महिलाओ के उपर है। जो तस्वीर में दिखाई दे रहा है।
यहां बताना जरूरी है कि मगनभाई पटेल ८३ वर्ष की आयु में भी सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं को स्व-खर्च से चलाकर समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने आज तक हजारों सिलाई मशीन, ट्राइसाइकिल,व्हील चेयर, औजार सामग्री मिस्त्री,बढ़ई,लोहार जैसे साधारण कारीगरों को वितरित कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने में मदद की है। उन्होंने ब्यूटी पार्लर के लिए ब्यूटी पार्लर किट व कुटीर उद्योगों के लिए माइक्रोफाइनेंस उपलब्ध कराकर अनगिनत महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मगनभाई पटेल द्वारा हर माह तीन से चार रोजगारोन्मुखी परियोजनाएं चलाई जाती हैं, जिनसे लोग प्रेरणा लेंगे तो आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग रोजगारोन्मुखी बनेगा और महिलाएं घर-गृहस्थी संभालने में सक्षम होंगी। समाज व देश के सामाजिक संगठन इस कार्य से जुड़ेंगे तो निश्चित रूप से हम प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी की विचारधारा को सार्थक कर सकेंगे।
अहमदाबाद के सरखेज इलाके में रहनेवाले मधुरम शिक्षण संस्कार केंद्र के मधुभाई शुक्ला (आयु ९२) आज भी करीब ५० गरीब बच्चों को मुफ्त ट्यूशन देते हैं, जिसका पूरा खर्च मगनभाई पटेल उठाते हैं। यहां ट्यूशन के लिए आनेवाले बच्चों को हर साल मगनभाई पटेल के आर्थिक सहयोग से शिक्षा की सामग्री,स्कुल बेग,नोटबुक इत्यादि दी जाती है।यहां बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से उन्होंने इस इलाके का सर्वे किया और जिन महिलाओं को सिलाई मशीन की आवश्यकता थी उन्हें मगनभाई पटेल के आर्थिक सहयोग से सिलाई मशीनें दी गईं। यहां उन्हें सिलाई मशीनों के साथ जरूरी कच्चा माल भी दिया गया।
 
लायंस दर्दी सहायक ट्रस्ट,अहमदाबाद पिछले ३१ वर्षों से सेवा कार्य कर रहा है। इस ट्रस्ट से हर साल ३०,००,००० रुपये का सेवा कार्य किया जाता है। जिसके तहत अब तक ३३६ सिलाई मशीनें महिलाओं को दी जा चुकी हैं तथा लायंस क्लब के गवर्नर हिरेनभाई मेवाड़ा एवं दानदाताओं के सहयोग से आगामी समय में ४०० सिलाई मशीनें देने का लक्ष्य है। इसके साथ ही ट्रस्ट द्वारा विधवा एवं परित्यक्ता महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद के लिए सिलाई क्लासिस भी शुरू की गई हैं, जिसमें उन्हें सिलाई का कार्य सिखाया जाता है तथा प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें दान स्वरूप नि:शुल्क सिलाई मशीनें देकर रोजगारोन्मुखी बनाया जाता है। अब तक करीब ५० महिलाओं ने सिलाई कार्य का प्रशिक्षण लेकर सिलाई मशीनें प्राप्त कर ली हैं और रोजगार प्राप्त कर रही हैं। यह ट्रस्ट सिविल अस्पताल में उपचार के लिए आनेवाले मरीजों को हर माह १.५ से २ लाख रुपए की नि:शुल्क दवाइयां उपलब्ध कराता है। इस ट्रस्टने सिविल अस्पताल को ३८  लाख रुपए की डिजिटल एक्सरे मशीन के साथ ही मूक-बधिर मरीजों के उपचार के लिए पैराप्लेजिया वार्ड को ५ लाख रुपए की स्पीच एंड हियरिंग मशीन भी दान की है।
यह ट्रस्ट अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के हर विभाग जैसे किडनी, कार्डियोलॉजी, कैंसर, स्त्री रोग, पैराप्लेजिया आदि में मरीजों के इलाज और ऑपरेशन में मदद करता है। इसके अलावा मरीजों को दवाई देने, जिन मरीजों के पास पैसे नहीं होते, उन्हें घर पर ही इलाज मुहैया कराने और शवों को मुर्दाघर तक पहुंचाने में मदद करता है। कोरोनाकाल में ट्रस्टने उन बहनों की मदद की है जिन्होंने अपने पति या रिश्तेदारों को खो दिया है, उन्हें सिलाई मशीन मुहैया कराकर उन्हें रोजगार के लायक बनाया है।
इस अवसर पर मगनभाई पटेल ने अपने भाषण में कहा कि जैसे-जैसे भारत एक प्रमुख वैश्विक आर्थिक शक्ति बन रहा है, राष्ट्र की विकास गाथा में महिलाओं की भागीदारी की आवश्यकता दिन-प्रतिदिन अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है। कोई आश्चर्य नहीं कि भारत की महिलाएं पहले की तरह खुद को सशक्त बना रही हैं और माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी साहब और उनकी टीम पर अपना विश्वास रख रही हैं। अगर हमारी आबादी का ५० प्रतिशत हिस्सा महिलाओं का है जो घर में बंद हैं, तो हम सफलता हासिल नहीं कर सकते। देश की सामाजिक संस्थाओं का यह कर्तव्य है कि वे उन्हें वित्तीय सहायता, कौशल और प्रशिक्षण के माध्यम से उद्यमी बनाएं। महिला सरपंचों से लेकर विधायकों तक, सार्वजनिक सेवा में महिलाओं की भूमिका को पहले की तरह बढ़ावा दिया जा रहा है। सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के परिणाम महिलाओं की भागीदारी से कई गुना बढ़ जाते हैं क्योंकि उनमें न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे समाज की देखभाल करने की असाधारण क्षमता होती है। केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की सबसे बड़ी लाभार्थी के रूप में महिलाओंने वित्तीय निर्भरता और दैनिक कठिनाइयों से मुक्ति का अनुभव किया है, बदले में उन्होंने जो प्यार और समर्थन दिया है वह अभूतपूर्व है। हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदीने विदेशों में रहनेवाली भारतीय महिलाओं में भी उत्साह का संचार किया है। प्रधानमंत्री के विकासोन्मुखी कार्यों को महिलाओं का स्पष्ट समर्थन मिला है। देश के आर्थिक विकास के लिए महिला शक्ति अब सबसे महत्वपूर्ण कारक है।
मगनभाई पटेलने आगे कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रीय परिवर्तन की अगुआई में महिलाओं का कदम महत्वपूर्ण रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी के कार्यकाल में महिला विकास के बदले महिला नेतृत्ववाले विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है। दुनियाभर में महिला सशक्तिकरण की खूब चर्चा हो रही है। २१ वीं सदी में महिलाओंने पुरुषों से जुड़े कई क्षेत्रों में भागीदारी शुरू कर दी है। तकनीक के विकासने इस काम को आसान बना दिया है। भारत सरकारने २०४७  तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए महिला नेतृत्ववाले विकास के अपने विजन को प्राथमिकता दी है।
मगनभाई पटेल ने अपने भाषण के अंत मे कहा कि जब हम प्राचीन भारतीय ग्रंथों और धर्मग्रंथों को देखते हैं, तो हमें सशक्त महिलाएं दिखाई देती हैं। वे वह धुरी थीं, जिसके इर्द-गिर्द सभ्यताएं पनपीं है,लेकिन हमलों और आक्रमणों की एक श्रृंखला ने सभ्यता के लिए खतरा पैदा कर दिया है।इस अंधकारमय युग में महिलाओं को तमाम तरह की यातनाएं और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। कारण जो भी हो, इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम आज भी पूरी दुनिया में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह मुद्दा हर गुजरते दिन के साथ सामने आ रहा है। इसी के चलते भारत सरकार ने अन्य देशों की तुलना में भारत में कई महिला सशक्तिकरण योजनाएं शुरू की हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ये योजनाएं महिलाओं के लिए नेतृत्व विकास का मार्ग प्रशस्त करेंगी। देश के हर हिस्से में ऐसी कई सेवा संस्थाएं काम करती हैं। अगर हम दान देकर और सरकारी योजनाओं का लाभ देकर ऐसी संस्थाओं की मदद करें तो महिलाओं और जरूरतमंद लोगों का क्षैतिज विकास होगा और निश्चित रूप से देश के विकास में यह एक महत्वपूर्ण योगदान माना जाएगा। इस लेख को आपके सामने रखने का उद्देश्य यह है कि देश में लाखों सेवाभावी लोग हैं जो ऐसी योजनाओं के लिए काम कर रहे हैं, अगर इन लोगों को सरकारी योजनाओं और आर्थिक रूप से मजबूत लोगों द्वारा मदद की जाए तो यह सेवा देश के कोने-कोने तक अवश्य पहुंच पाएगी।

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