माली समाज के लोगों ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 12 प्रतिशत पृथक आरक्षण की अपनी मांग को लेकर भरतपुर में जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग को शनिवार को भी बाधित रखा। अधिकारियों के अनुसार सड़क शनिवार शाम तक बाधित थी।
भरतपुर के संभागीय आयुक्त सांवरमल वर्मा ने कहा, प्रदर्शन जारी है। समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की जा रही है। कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। स्थिति नियंत्रण में है।
इसी बीच, भरतपुर जिला प्रशासन ने अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए जिले की नदबई, वैर और भुसावर तहसील में 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी है।
सूत्रों के अनुसार इसे हालात को देखते हुए आगे भी जारी रखा जा सकता है।
अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने एनएच-21 पर ईंट-पत्थर रखकर जाम कर दिया। उन्होंने आसपास तंबू लगा लिए हैं।
पुलिस ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम से बचने के लिए सेवर चौराहे से यातायात दूसरे रास्ते से निकाला जा रहा है।
समुदाय के लोगों ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग को लेकर शुक्रवार को जयपुर-भरतपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम करने की घोषणा की थी।
आंदोलन को देखते हुए पुलिस ने राजमार्ग से जुड़े बल्लभगढ़, हलैना, वैर, अरौंदा, रमासपुर गांवों की सड़कों को सुबह से ही अवरुद्ध कर दिया, ताकि आंदोलनकारी राजमार्ग तक न पहुंच सकें। हालांकि, कई लोगों ने हंगामा किया और पुलिस पर पथराव किया और पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।
माली समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अंतर्गत आता है और वह अब अलग से 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहा है।
गौरतलब हो कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी माली समुदाय से आते हैं।
जयपुर में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक हरिमोहन मीना की अध्यक्षता में शुक्रवार को अंबेडकर भवन स्थित निदेशालय के सभागार में सैनी, माली और कुशवाह समाज के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता की गई।
सरकारी बयान के अनुसार बैठक में सैनी समाज के प्रतिनिधियों द्वारा 12 प्रतिशत आरक्षण, अलग से लव-कुश कल्याण बोर्ड के गठन, समाज के बच्चों के लिए छात्रावास सुविधा आदि की मांग की गई।
मीना ने उन्हें बताया कि उनकी पिछली मांगों में से राज्य सरकार द्वारा दो मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई करते हुए महात्मा ज्योतिबा फूले कल्याण बोर्ड का गठन किया गया और 19 अप्रैल को महात्मा ज्योतिबा फूले दिवस पर राजकीय अवकाश घोषित कर चुकी है।
मीना ने प्रतिनिधियों को उनकी मांगों से उच्च स्तर को अवगत कराने के लिए आश्वस्त किया। इस समुदाय ने इससे पहले जून, 2022 में भी इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया था और सरकार के आश्वासन के बाद अपना प्रदर्शन वापस ले लिया था।