भारत गाजा में उभरते मानवीय संकट को लेकर चिंतित है लेकिन साथ ही पूरी दृढ़ता के साथ यह मानता है कि आतंकवाद को लेकर कोई भी समझौता नहीं किया जा सकता है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने इजराइल-हमास संघर्ष संबंधी संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पर मतदान से भारत के दूर रहने संबंधी फैसले के बारे में शनिवार को विस्तार से बताते हुए कहा कि भारत आतंक को लेकर कोई भी समझौता नहीं कर सकता है।
भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘आम नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी एवं मानवीय दायित्वों को कायम रखने’ शीर्षक वाले जॉर्डन के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा। इस प्रस्ताव में इजराइल-हमास युद्ध में तत्काल मानवीय संघर्ष-विराम और गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने शुक्रवार को उस प्रस्ताव को अपनाया, जिसमें तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष-विराम का आह्वान किया गया है, ताकि शत्रुता समाप्त हो सके।
सूत्रों ने कहा कि प्रस्ताव में हमास द्वारा सात अक्टूबर के आतंकवादी हमलों की कोई स्पष्ट निंदा नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि भारत ने प्रस्ताव के अंतिम मूलपाठ में उसके दृष्टिकोण को लेकर सभी तत्वों को शामिल नहीं किए जाने के कारण मतदान में भाग नहीं लिया।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के प्रस्ताव में सात अक्टूबर के आतंकवादी हमलों की स्पष्ट रूप से कोई निंदा नहीं की गई है। मुख्य प्रस्ताव पर मतदान से पहले इस पहलू को शामिल करने के लिए एक संशोधन पेश किया गया था।’’
सूत्र ने कहा कि भारत ने संशोधन के पक्ष में मतदान किया और उसके पक्ष में 88 वोट पड़े लेकिन अपेक्षित दो-तिहाई बहुमत नहीं मिला।
हमास द्वारा इजराइल पर किये गये हमलों का जिक्र करते हुए सूत्रों ने कहा कि ‘‘आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता’’।
सूत्रों ने कहा कि भारत के ‘एक्सप्लेनेशन ऑफ वोट’ (ईओवी) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ‘‘सात अक्टूबर को इजराइल में हुए आतंकवादी हमले निदंनीय थे।’’
भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि, योजना पटेल ने कहा, ‘‘हमारी संवेदनाएं बंधक बनाए गए लोगों के साथ भी हैं। हम उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान करते हैं।’’
सूत्रों ने कहा कि ईओवी में गाजा में उभरते मानवीय संकट पर भारत की चिंताओं से दृढ़ता से अवगत कराया गया है।
पटेल ने ईओवी में कहा, ‘‘गाजा में जारी संघर्ष में हताहतों की संख्या एक गंभीर और निरंतर चिंता का विषय है। नागरिक, विशेषकर महिलाएं और बच्चे अपनी जान देकर इसकी कीमत चुका रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस मानवीय संकट का समाधान करने की आवश्यकता है।
हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तनाव कम करने के प्रयासों और गाजा के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने का स्वागत करते हैं। भारत ने भी इस प्रयास में योगदान दिया है।’’
पटेल ने कहा कि भारत ‘‘बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और जारी संघर्ष में नागरिकों की मौत होने से बेहद चिंतित है।’’
उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा इजराइल-फलस्तीन मुद्दे पर बातचीत के जरिए दो-देश समाधान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए, हम सभी पक्षों से आग्रह करते हैं कि वे तनाव कम करें, हिंसा से बचें और शांति वार्ता को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने की दिशा में काम करें।