तिरुवनंतपुरम/ठाणे । केरल सरकार ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह वायनाड जिले के मुंडक्कई और चूरलमाला गांवों में हाल ही में हुए भूस्खलन में अपने घर पूरी तरह से खो चुके लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, ताकि उन्हें एक नयी जगह पर स्थानांतरित करने में मदद मिल सके। वहीं, किसान संगठनों ने वायनाड भूस्खलन पीडि़तों की मदद के लिए केरल मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ रुपये की राशि दान की है। केरल में मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा कि यह सहायता इन क्षेत्रों में आपदा से प्रभावित सभी लोगों को उपलब्ध होगी।
बयान में कहा गया है कि सरकार उन परिवारों के वयस्कों को 300 रुपये का दैनिक भत्ता प्रदान करेगी, जिन्होंने आपदा के कारण अपनी आय का स्रोत खो दिया है। बयान के अनुसार, यह लाभ प्रति परिवार दो सदस्यों तक सीमित होगा, उन मामलों को छोड़कर जहां परिवार का कोई सदस्य गंभीर रूप से बीमार है या अस्पताल में भर्ती है। उस स्थिति में लाभ तीन सदस्यों तक बढ़ाया जाएगा। यह सहायता अधिकतम 30 दिन के लिए प्रदान की जाएगी। फिलहाल शिविर में रह रहे प्रत्येक परिवार को 10 हजार रुपये की आपात वित्तीय मदद भी प्रदान की जाएगी। सरकार उन लोगों के लिए सरकारी स्वामित्व वाली या सार्वजनिक स्वामित्व वाली संपत्तियों में आवास सुविधाएं प्रदान करने की संभावना भी तलाश रही है जिन्होंने आपदा में अपने घर खो दिए हैं।
जिलाधिकारी को इस संबंध में एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है और रिपोर्ट मिलते ही सरकार किराया तय करेगी एवं तदनुसार सहायता प्रदान करेगी। पर्वतीय जिले में 30 जुलाई को हुए भीषण भूस्खलन में 226 लोगों की मौत हो गई और 130 से अधिक लोग लापता हैं। उधर, अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) और केरल कृषक संघ(केकेएस) ने वायनाड भूस्खलन पीडि़तों की मदद के लिए केरल मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ रुपये की राशि दान की है। ठाणे में एआईकेएस प्रमुख अशोक धावले ने कहा कि अखिल भारतीय किसान सभा और इसकी केरल इकाई ने बृहस्पतिवार को तिरुवनंतपुरम में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को राहत राशि का चेक सौंपा। धावले ने कहा कि केकेएस ने 27 हजार से ज्यादा अपनी इकाइयों से यह राशि एकत्र की। उन्होंने बताया कि इससे पहले एआईकेएस ने अखिल भारतीय वायनाड राहत कोष में पांच लाख रुपये का योगदान दिया था।