![]()
Breaking News
रसड़ा, बलिया 📰 रसड़ा कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में एकतरफा प्रेमी ने लड़की के…
📰 बलिया। जिला अस्पताल में डिलीवरी के लिए आई महिला से 5 हजार रुपये की…
आईपीएल 2026 की नीलामी अबू धाबी में होने जा रही है और मौजूद जानकारी के…
भारतीय क्रिकेट में हार्दिक पांड्या की वापसी को लेकर टीम प्रबंधन और पूर्व खिलाड़ियों के…
लिवरपूल के कोच आर्ने स्लॉट ने साफ कर दिया है कि मोहम्मद सलाह के साथ…
थाईलैंड की सेना ने सोमवार को जानकारी दी कि उसने कंबोडिया के सैन्य ठिकानों पर…
आज हुई एनडीए सांसदों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया…
भारतीय वायुसेना की ट्रांसपोर्ट फ्लट के दमदार सी130 जे सुपर हरकुलस विमानों से जुड़ी एक…
नई सरकार के गठन होने के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता…
गोवा के अर्पोरा गांव में हुए नाइटक्लब आग हादसे के महज पांच घंटे बाद ही…
ओलिव रिडले समुद्री कछुआ, जो दुनिया का दूसरा सबसे छोटा समुद्री कछुआ है। इस ओलिव रिडले कछूए ने प्रजनन के लिए 3500 किलोमीटर की लंबी यात्रा की है। यह कछुआ अपनी प्रजाति के लिए एक अद्भुत यात्रा करता है। इस कछुए को 2021 में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा एक टैग लगाया गया था, जिससे इसकी गतिविधियों और यात्रा को ट्रैक किया जा सके।
वहीं इस कछुए को लेकर अब हैरानी वाली जानकारी वैज्ञानिकों ने साझा की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि 03233 नाम के इस कछुए ओडिशा से अपनी यात्रा की शुरुआत की थी और श्रीलंका तक का रास्ता तय किया था। वहां से ये कछुआ महाराष्ट्र तक पहुंचा होगा।
जानें डबल नेस्टिंग के बारे में
कछुओं के लिए डबल नेस्टिंग उस समय होती है जब प्रजनन सीजन में मादा कछुए दो बार अंडे देती है। अंडे देने के लिए मादा कछुओं को घोंसला बनाना होता है। कछुओं का घोंसला एक खोखला गड्ढा होता है जिसमें मादा अंडे देकर उसे सुरक्षित रख सकती है।
ऐसे की जाती है कछुओं की टैगिंग
कछुओं की गतिविधि पर नजर रखने, रिसर्च और सुरक्षा के लिए वैज्ञानिक कछुओं को टैग करते है। ये टैग तीन प्रकार के होते हैं, जिसमें फ्लिपर टैग पहला टैग है। इसमें कछुए के पंखों पर कोड लगता है। इससे उसकी पहचान को दोबारा करने में परेशानी नहीं होती है। दूसरा टैग पीआईटी टैग है जिससे कछुए के शरीर के चमड़े के नीचे टैग लगता है जिसको बाद में स्कैन कर पढ़ा जाता है। इसके अलावा कछुओं पर सैटेलाइट टैग लगाया जाता है जिसमें कछुए के खोल को टैग करते है, जिसके बाद सैटेलाइट की मदद से इन पर नजर रखना आसान होता है।
ऐसे होता है समुद्री कछुओं का प्रजनन
समुद्री कछुओं का प्रजनन समुद्र के तट पर होता है जहां मादा अंडे देने आती है। मादा कछुआ अंडे देने के लिए घोंसला यही तट पर ही बनाती है। बता दें कि ओलिव रिडले कछुआ उस प्रजाति का कछुआ है जिसमें सामूहिक घोंसला बनाया जाता है। सामूहिक घोंसला बनाने के लिए बड़ी मात्रा में कछुए एक साथ समुद्र तट पर आकर अंडा देते है। तट पर इन अंडों की संख्या हजारों में होती है।
