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NCP Crisis: पार्टी सिंबल पर Ajit Pawar ने जताया हक, Sharad Pawar से बगावत के बाद आया फैसला

एनसीपी नेता अजित पवार ने रविवार, 2 जुलाई को ऐसा फैसला लिया कि महाराष्ट्र की राजनीति और एनसीपी में उथल पुथल मच गई। एकनाथ शिंदे ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार को चौंकाते हुए महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। इस एक फैसले से अब महाराष्ट्र विधानसभा भी बदल गई है। एनसीपी नेता अजित पवार ने पार्टी नेता शरद पवार से बगावत कर भाजपा और शिवसेना से हाथ मिलाया है।
 
अजित पवार के साथ अन्य कई नेताओं और विधायकों ने भी अपना समर्थन उन्हें दिया है। अजित पवार ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अपने ट्विटर बायो में भी बदलाव किया और खुद को महाराष्ट्र का उपमुख्यमंत्री बताया है। वहीं अजित पवार ने अब एनसीपी की पार्टी का नाम और सिंबल पर भी अपना अधिकार जताया है।
 
पार्टी सिंबल पर जताया हक
अजित पवार ने कहा कि पार्टी का नाम और सिंबल मेरे पर ही है और मेरे पास रहेगा। उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी के अन्य विधायकों से भी संपर्क किया है। पार्टी के कई विधायक शाम तक पहुंचेंगे और समर्थन हमें देंगे। उन्होंने कहा कि एनसीपी अब जिला परिषद के हों या अन्य पंचायत अब एनसीपी के सिंबल पर ही लड़े जाएंगे। उन्होंने नागालैंड का जिक्र करते हुए कहा कि वहां भी एनसीपी के सात विधायक चुनकर आए थे, जिन्होंने बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया था।
 
अजित थे खफा
वहीं अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले अजित पवार ने निचले सदन में विपक्ष के नेता (एलओपी) के पद से इस्तीफा दे दिया है और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है। सूत्रों ने बताया कि पटना में हाल में हुई विपक्ष की बैठक में राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले की मौजूदगी से अजित पवार और उनके समर्थक खफा थे। इससे पहले दिन में अजित पवार ने मुंबई में अपने आधिकारिक आवास ‘देवगिरि’ में पार्टी के कुछ नेताओं और विधायकों के साथ बैठक की। बैठक में राकांपा के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल और पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले उपस्थित थीं। 
 
हालांकि, सुले बैठक से जल्द ही चली गईं। हालांकि, राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार ने पुणे में कहा कि उन्हें बैठक की जानकारी नहीं है। वर्ष 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपने सहयोगी दल भाजपा के साथ संबंध तोड़ लिए थे। बाद में, राजभवन में एक समारोह में फडणवीस और अजित पवार ने क्रमश: मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन उनकी सरकार केवल 80 घंटे तक चली। इसके बाद ठाकरे ने एमवीए सरकार बनाने के लिए राकांपा और कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया। पिछले साल जून में, शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह के कारण शिवसेना में विभाजन हो गया था और एमवीए सरकार गिर गई थी, जिसके बाद शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे।

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