2020 की गर्मियों में जम्मू-कश्मीर के केरन में भीषण गोलीबारी हुई, जिसमें कई लोग हताहत हुए और हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली। इसी तरह 2023 की सर्दियों में जम्मू-कश्मीर के पुंछ में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में चार सैनिक मारे गए और पीपुल्स एंटी-फासीस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) नामक एक अज्ञात संगठन ने हमले की जिम्मेदारी ली। महीनों बाद, इस संगठन ने गुलमर्ग में एक और हमले की जिम्मेदारी ली, जिसमें राष्ट्रीय राइफल्स के दो सैनिकों सहित चार लोग मारे गए थे। देखा जाये तो 2020 और 2023 की घटना से पहले इन दोनों संगठनों के बारे में पहले कभी नहीं सुना गया था। लेकिन भारतीय एजेंसियों को यह पता लगाने में देर नहीं लगी कि वे कुख्यात आतंकी संगठनों- जैश-ए-मुहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की शाखाएँ थीं, जिन्होंने रूप बदल कर अपना जिहादी वेश छिपाने की कोशिश की थी।
हम आपको बता दें कि लश्कर-ए-तैयबा अब टीआरएफ और जैश-ए-मोहम्मद अब पीएएफएफ बन चुका है। दरअसल 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में बदले राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए पाकिस्तान में बैठे आतंकी आकाओं ने अपने संगठनों की री-ब्रांडिंग की है। वैसे तो आतंकवादी संगठनों की रीब्रांडिंग या रीपैकेजिंग अक्सर होती रहती है लेकिन इस बार खास बात यह है कि संगठनों के गैर-इस्लामी नाम रखे गये क्योंकि आतंकी आका पश्चिम के प्रभावशाली मानवाधिकार समूहों को भी अपने साथ लेना चाहते थे जोकि अक्सर “स्वतंत्रता संघर्ष”, “आत्मनिर्णय” और “प्रतिरोध” के अधिकार का हवाला देते हुए जनमत को लुभाते हैं और ऐसे संगठनों की ताकत बढ़ाते हैं।
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लश्कर और जैश ने नामों में बदलाव कर दुनिया से अपनी जिहादी विचारधारा को छुपाया और कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को तेज किया। एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने कहा कि उन्हें लगा कि इस रणनीति से उनके नए मुजाहिदीन गुपचुप अपना काम जारी रखेंगे जिससे पाकिस्तान को वैश्विक प्रतिबंधों से बचने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा, रीब्रांडिंग से बनी नई छवि की ओर नए रंगरूट या ऐसे तत्वों से सहानुभूति रखने वाले लोग आकर्षित होते हैं। इसके अलावा, रीब्रांडिंग वैश्विक प्रतिबंधों से बचने और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) को चकमा देने का भी एक प्रयास था, जिसने लश्कर को आतंकवादी घोषित किया था। हम आपको याद दिला दें कि अंतरराष्ट्रीय दबाव ने पाकिस्तान को आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने का दिखावा करने पर मजबूर किया था। पाकिस्तान ने आतंकवादी नेताओं को नजरबंद करने या उन्हें जेल में डालने की कार्रवाई की थी लेकिन जल्द ही वह सारे आतंकी बाहर खुले में घूमते हुए दिखाई दिये थे।