पंजाब विधानसभा ने मंगलवार को एक विधेयक पारित किया, जो राज्य के पुलिस प्रमुख के चयन में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की भूमिका को दरकिनार करता हुआ प्रतीत होता है।
संशोधित विधेयक के मुताबिक, राज्य द्वारा नियुक्त समिति पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद के लिए विचार किए जाने वाले भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के तीन अधिकारियों की सूची बनाएगी। राज्य सरकार इस सूची में से एक अधिकारी का डीजीपी पद के लिए चयन करेगी।
मौजूदा नियम के मुताबिक, राज्य सभी पात्र अधिकारियों के नाम यूपीएससी को भेजते हैं। फिर यूपीएससी तीन अधिकारियों को चुनता है, जिनमें से राज्य सरकार एक का चयन करती है।
विधेयक के अनुसार, राज्य सरकार सेवा की अवधि, सेवा रिकॉर्ड और अनुभव सहित विभिन्न मानदंडों के आधार पर पात्र अधिकारियों में से तीन अधिकारियों की सूची तैयार करने के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन करेगी।
इस समिति का नेतृत्व पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे।
वहीं, इसके अन्य सदस्यों में राज्य के मुख्य सचिव, यूपीएससी के एक नामित सदस्य, पंजाब लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या नामित सदस्य, केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक नामित सदस्य और पंजाब पुलिस के एक सेवानिवृत्त डीजीपी शामिल होंगे।
पंजाब के गृह विभाग के प्रशासनिक सचिव समिति के सदस्य-संयोजक होंगे।
आम आदमी पार्टी के बहुमत वाले सदन में यह विधेयक बिना किसी विरोध के पारित हो गया। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस दिन में सदन से बर्हिगमन कर गई थी जबकि भाजपा ने दो दिवसीय विशेष सत्र का बहिष्कार किया था।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल की सहमति के बाद ही विधेयक कानून बनता है।
इससे पहले दिन में, विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया जो राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री को सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में नियुक्त करता है।