सूरत कोर्ट के द्वारा मानहानि मामले में राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई गई थी। अब इसी को लेकर राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द की जा चुकी है। पूरे मामले पर राजनीति जबरदस्त तरीके से गर्म है। सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर हमलावर भी हैं। इन सबके बीच राहुल गांधी ने लोकसभा की सदस्यता जाने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं। मैं हर कीमत चुकाने को तैयार हूं।
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आपको बता दें कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, किसी भी सदस्य को दोषी ठहराए जाने और दो साल या उससे अधिक के कारावास की सजा होने पर अयोग्य घोषित किया जाता है। व्यक्ति कारावास की अवधि और एक और छह साल के लिए अयोग्य होता है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला करते हुए राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी ने भारत के लोकतंत्र को ”खत्म करने” की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी, आपके चमचों ने एक शहीद प्रधानमंत्री के बेटे को देशद्रोही और मीर जाफर कहा। आपके एक मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि राहुल गांधी के पिता कौन हैं।
क्या है पूरा मामला
सूरत की एक अदालत ने ‘मोदी उपनाम’ संबंधी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि के एक मामले में उन्हें दो साल कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने राहुल गांधी को जमानत भी दे दी और उनकी सजा पर 30 दिन की रोक लगा दी, ताकि कांग्रेस नेता उसके फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकें। फैसला सुनाए जाते समय राहुल गांधी अदालत में मौजूद थे। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के वकील बाबू मंगुकिया ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच एच वर्मा की अदालत ने कांग्रेस नेता को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 499 और 500 के तहत दोषी करार दिया। ये धाराएं मानहानि और उससे संबंधित सजा से जुड़ी हैं।