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कर्नाटक में SIT का गठन, पैनल ने कहा- भाजपा के शासन में 40% कमीशन का कोई सबूत नहीं

कर्नाटक मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दौरान सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों में 40 प्रतिशत कमीशन के लंबे समय से चल रहे आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने का फैसला किया। यह न्यायमूर्ति नागमोहन दास आयोग द्वारा यह कहे जाने के कुछ दिनों बाद आया है कि पिछली भाजपा सरकार के दौरान कथित 40 प्रतिशत कमीशन घोटाले का कोई निर्णायक सबूत नहीं था, लेकिन सरकारी अनुबंधों में व्यापक भ्रष्टाचार की पुष्टि हुई। कानून मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि एसआईटी को दो महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है और जांच में सहायता के लिए विषय-वस्तु विशेषज्ञों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। 

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आज हमें कैबिनेट मीटिंग से करीब एक घंटे पहले रिपोर्ट मिली। हमने कुछ विवरण देखे और एसआईटी बनाने का फैसला लिया। पाटिल ने बताया कि पैनल ने लगभग 3 लाख सरकारी परियोजनाओं की जांच की और उनमें से कम से कम 1,729 में गंभीर मुद्दे चिन्हित किये। रिपोर्ट में योजना, फंड रिलीज और एलओसी (लेटर ऑफ क्रेडिट) जारी करने में अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया है। कैबिनेट ने इन विसंगतियों की सीमा पर गंभीरता से चर्चा की। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि टेंडर आवंटन प्रक्रिया के दौरान बिचौलिए शामिल थे। निष्कर्षों की गंभीरता को देखते हुए कैबिनेट ने एसआईटी गठित करने का फैसला किया है। 

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रिपोर्ट कर्नाटक राज्य ठेकेदार संघ द्वारा की गई शिकायतों पर आधारित थी, जिसने पिछली भाजपा सरकार में अधिकारियों और राजनेताओं पर बिलों को मंजूरी देने के लिए 40 प्रतिशत कमीशन मांगने का आरोप लगाया था। हालांकि बाद में जस्टिस नागमोहन दास ने मीडिया को बताया कि पैनल को 40 प्रतिशत के आंकड़े का कोई सबूत नहीं मिला है, लेकिन रिपोर्ट में हजारों परियोजनाओं में गंभीर अनियमितताओं का विवरण दिया गया है।

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