महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना धड़ों की दलीलें सुनने के बाद, विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर 13 अक्टूबर से आधिकारिक सुनवाई करने का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री शिंदे का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील अनिल सखारे ने सोमवार को यह जानकारी दी।
पिछले साल जून में, शिंदे के विद्रोह के बाद शिवसेना विभाजित हो गई थी।
ठाकरे गुट ने दल-बदल विरोधी कानूनों के तहत शिंदे सहित कई विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध किया है।
सखारे ने विधान भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने हमारी दलीलें सुनीं, हम उनके समक्ष दायर सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़ने का विरोध कर रहे हैं।
हमारी मांग है कि उन याचिकाओं पर अलग-अलग सुनवाई हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा अध्यक्ष अगले कुछ दिनों में सुनवाई के कार्यक्रम की घोषणा कर सकते हैं। पहली सुनवाई 13 अक्टूबर को शुरू होगी। सभी याचिकाओं पर एक साथ या अलग-अलग सुनवाई के संबंध में आधिकारिक रूप से दलीलें दी जाएंगी।’’
उन्होंने कहा कि आज कोई आधिकारिक सुनवाई नहीं हुई और केवल प्रक्रियात्मक हिस्से के बारे में फैसला किया गया।
सखारे ने एक सवाल के जवाब में कहा कि ठाकरे धड़ा चाहता है कि सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़कर सुनवाई की जाए, वहीं शिंदे धड़ा इस तरह के प्रस्ताव के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि 39 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं दायर की गई हैं।
शिवसेना में विभाजन के बाद, पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न शिंदे समूह को आवंटित कर दिया गया था, जबकि ठाकरे-नीत धड़े को शिवसेना (यूबीटी) नाम दिया गया।
इस बीच, शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई ने संवाददाताओं से कहा कि उनके गुट ने कुछ सबूत पेश करने और सभी याचिकाओं पर स्वतंत्र रूप से सुनवाई करने की शिंदे धड़े की मांग का विरोध किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे वकीलों ने विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर से कहा कि उन सभी याचिकाओं पर स्वतंत्र रूप से सुनवाई करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह मामला विधायकों के एक समूह (शिंदे गुट) द्वारा पार्टी के आदेशों का पालन नहीं करने से संबंधित है। इस पर केवल संविधान की 10वीं अनुसूची के दायरे में ही बहस की जानी है।’’
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने दावा किया कि नार्वेकर केंद्र सरकार के ‘‘दबाव’’ में हैं।
राउत ने दावा किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बावजूद, यदि विधानसभा अध्यक्ष कानून या संविधान के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं तो दबाव कौन डाल रहा है? हम उन पर दबाव नहीं डाल रहे हैं, लेकिन दिल्ली (केंद्र) दबाव बना रही है। क्या उन पर कोई दबाव नहीं था, अगर ऐसा होता तो, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ 16 विधायकों को अब तक अयोग्य घोषित कर दिया गया होता।’’
राउत ने आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष ने खुद इतने दल बदले हैं कि उन्हें इस तरह के बदलाव में कुछ भी गलत नहीं लगता।