महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शुक्रवार को पिछले साल शिवसेना में विभाजन के बाद एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए प्रतिद्वंद्वी गुटों की ओर से दायर याचिकाओं को एक साथ जोड़ने और उस पर एक साथ सुनवाई करने का फैसला किया है। एक विपक्षी विधायक ने मामले में सुनवाई के बाद यह जानकारी दी।
विधायक ने बताया, नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ शिवसेना और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी गुट को विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय में प्रस्तुत याचिकाओं पर अपने लिखित जवाब देने के लिए 25 अक्टूबर तक का समय दिया है।
शिवसेना (यूबीटी) के विधायक सुनील प्रभु ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष ने सभी अयोग्यता याचिकाओं को एक साथ जोड़ने और उन पर एक साथ सुनवाई करने का फैसला किया है।
उन्होंने बताया कि मामले की अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को होगी।
उद्धव ठाकरे नीत गुट ने पहले मांग की थी कि सभी याचिकाएं एक साथ सुनी जाएं ताकि कार्यवाही शीघ्रता से समाप्त हो सके। हालांकि, इस मांग का शिंदे नीत शिवसेना ने विरोध किया और याचिकाओं पर अलग-अलग सुनवाई करने पर जोर दिया।
विधानसभा अध्यक्ष का यह फैसला उच्चतम न्यायालय द्वारा उन्हें याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए यथार्थवादी समय-सीमा देने का अंतिम अवसर दिए जाने के कुछ दिनों बाद आया है। गत मंगलवार को शीर्ष अदालत ने कहा कि अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्रता से फैसला किया जाना चाहिए।
शिंदे और उनके प्रति वफादार कई विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए ठाकरे गुट द्वारा दायर याचिकाओं पर फैसला करने में देरी को लेकर उच्चतम न्यायालय ने पहले नार्वेकर को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष शीर्ष अदालत के आदेशों को खारिज नहीं कर सकते।
शिंदे गुट द्वारा ठाकरे के प्रति निष्ठा रखने वाले विधायकों के खिलाफ इसी तरह की अयोग्यता याचिकाएं दायर की गई हैं।