केंद्रीय मंत्री वी के सिंह ने मंगलवार को कहा कि ‘संघर्ष का ग्लैमर’ युवाओं को सशस्त्र आंदोलनों की तरफ आकर्षित करता है, जो ‘व्यापक बेरोजगारी’ जैसे विभिन्न अन्य सामाजिक-आर्थिक कारकों से भी प्रेरित है।
पूर्व सेना प्रमुख सिंह ने कहा कि संघर्ष के खिलाफ बल का इस्तेमाल सकारात्मक परिणाम के लिए किया जा सकता है लेकिन सुलह की पूरी प्रक्रिया में समान अवसर और पारदर्शी प्रक्रिया जैसे कई कदम शामिल हैं।
लोकसभा सदस्य तेजस्वी सूर्या ने शांति पर चर्चा करते समय युवाओं की आवाज को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया क्योंकि आबादी का यह वर्ग संघर्ष के समय ‘असंतुलित रूप से प्रभावित’ होता है।
वे यहां ‘यूथ 20’ सम्मेलन में ‘शांति निर्माण और सुलह: युद्ध रहित युग की शुरुआत’ पर सामूहिक परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे। सड़क परिवहन राज्य मंत्री सिंह ने कहा, ‘‘एक राष्ट्र की विविधता अलग-अलग धारणाओं में योगदान करती है। अगर इसे ठीक से प्रबंधित नहीं किया जाता तो यह वैमनस्य पैदा कर सकता है, अन्यथा यह देश की ताकत बन जाती है।’’
मंत्री ने कहा कि सामाजिक आर्थिक परिस्थितियां संपन्न और विपन्न बनाती हैं। उन्होंने कहा कि असंतोष संघर्ष को जन्म देता है।
बेंगलुरु दक्षिण से सांसद सूर्या ने यह भी कहा कि एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना चाहिए जहां लोग सहज महसूस करें और अपनी क्षमता का इस्तेमाल कर सकें। उन्होंने कहा कि इससे असंतोष कम होता है और संघर्ष की स्थिति भी पैदा नहीं होती।
परिचर्चा में शामिल लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ (सेवानिवृत्त) ने शांति निर्माण और शांति बनाए रखने की पहल में सेना की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘‘सेनाएं युद्ध छेड़ने के लिए नहीं हैं। सेनाएं शांति सुनिश्चित करने के लिए हैं। अगर मजबूत सेना है, तो दुश्मन हमला नहीं करेंगे।