बीजिंग में बुधवार को आयोजित भव्य सैन्य परेड केवल एक सामरिक शक्ति-प्रदर्शन नहीं था, बल्कि वैश्विक राजनीति को एक सशक्त संदेश भी था। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के किम जोंग-उन जैसे नेताओं की उपस्थिति ने इस आयोजन को महज़ राष्ट्रीय उत्सव से कहीं अधिक, एक अंतरराष्ट्रीय शक्ति-प्रदर्शन में बदल दिया। चीन ने जिन हथियारों और तकनीकों का अनावरण किया, वह एशिया ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा चिंताओं को नई दिशा देने वाले हैं।
हम आपको बता दें कि सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करने वाले हथियार अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें— DF-61 और DF-5C रहे। इनमें से DF-5C को चीन की “वैश्विक कवरेज वाली रणनीतिक मिसाइल” कहा गया है, जो 20,000 किलोमीटर दूर तक किसी भी लक्ष्य को भेदने में सक्षम बताई जा रही है। कई वारहेड ले जाने की इसकी क्षमता इसे और खतरनाक बनाती है। चीन का यह दावा कि उसके पास ज़मीन, समुद्र और हवा से दागी जाने वाली मिसाइलों का पूरा “न्यूक्लियर ट्रायड” तैयार है, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन के लिए गहरी चिंता का विषय है।
इसके अलावा, परेड में प्रदर्शित हाइपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइलें— YJ-19, YJ-17 और YJ-20, नौसैनिक ताक़त का संकेत हैं। ये मिसाइलें जहाज़ों, पनडुब्बियों और विमानों से दागी जा सकती हैं और अपनी गति व लचीलापन इन्हें किसी भी नौसैनिक बेड़े के लिए गंभीर चुनौती बना देता है। दक्षिण चीन सागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते तनाव को देखते हुए, इन हथियारों की तैनाती पड़ोसी देशों के लिए और भी चिंता बढ़ाने वाली है।
इसके अलावा, PLA द्वारा प्रदर्शित विभिन्न ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम इस बात की ओर इशारा करते हैं कि भविष्य का युद्ध केवल मिसाइलों या टैंकों का नहीं होगा, बल्कि मानवरहित युद्धक प्रणालियों का होगा। विंगमैन ड्रोन, समुद्री ड्रोन और लेज़र-आधारित एंटी-ड्रोन हथियार संकेत देते हैं कि चीन कृत्रिम बुद्धिमत्ता और साइबर-युद्ध को अपने सैन्य ढांचे का अभिन्न हिस्सा बना चुका है। हम आपको बता दें कि परेड में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने कई तरह के हवाई और पानी के भीतर चलने वाले ड्रोन प्रदर्शित किए। इनमें नए-नए ड्रोन शामिल थे— सशस्त्र टोही ड्रोन, विंगमैन ड्रोन, वायु श्रेष्ठता ड्रोन और जहाज़ से उड़ने वाले हेलिकॉप्टर। ये ड्रोन गुप्त हमले कर सकते हैं, लंबी दूरी तक कार्य कर सकते हैं और स्वायत्त रूप से सहयोग कर सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टोही ड्रोन आक्रामक कार्रवाई भी कर सकते हैं। विंगमैन ड्रोन की डिज़ाइन और उद्देश्य उन्हें मानव-संचालित लड़ाकू विमानों के साथ करीबी फॉर्मेशन में उड़ने की अनुमति देते हैं, जिससे वायु श्रेष्ठता, वायु रक्षा, दमन और एस्कॉर्ट मिशनों में प्रभावी समन्वय संभव हो पाता है।
समुद्री ड्रोन में AJX002, HSU100 और एक जहाज़ जैसा ड्रोन शामिल है, जिसे पानी के भीतर चलने वाले ड्रोन के लिए एक प्लेटफॉर्म की तरह उपयोग किए जाने की संभावना है। AJX002 और HSU100 टॉरपीडो जैसे दिखते हैं, जिनमें एक छोर पर इंजन लगा है, जो उन्हें आगे बढ़ाता है। परेड में प्रदर्शित तीन निर्देशित-ऊर्जा आधारित एंटी-ड्रोन प्रणालियों में से दो लेज़र बीम उत्सर्जित करते हैं, जबकि तीसरा माइक्रोवेव आवृत्ति में केंद्रित विद्युतचुंबकीय ऊर्जा का उपयोग कर ड्रोन को बाधित, निष्क्रिय या नष्ट करता है। इसके अलावा, परेड की सबसे बड़ी झलकियाँ उन मिसाइलों की रहीं जिनमें हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स लगे हैं। ये वारहेड्स को ध्वनि की गति से पाँच गुना से अधिक तेज़ गति से, अनियमित उड़ान मार्ग अपनाते हुए, लक्ष्य तक पहुँचा सकते हैं।
खास बात यह है कि चीन की उन्नत हथियार प्रणालियों से पड़ोसी देशों के साथ-साथ पश्चिमी देशों की सुरक्षा चिंताएँ बढ़ना तय मानी जा रही हैं। हालाँकि, चीन ने आधिकारिक तौर पर इन हथियार प्रणालियों की मारक क्षमता और क्षमताओं का खुलासा नहीं किया है। इनमें से अधिकांश का अभी युद्ध में परीक्षण नहीं हुआ है और इनकी वास्तविक क्षमताओं के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। फिर भी, यह प्रदर्शन चीन की सामरिक मंशाओं को साफ़ करता है। यह आयोजन केवल आंतरिक जनता को उत्साहित करने या राष्ट्रवाद को बल देने के लिए नहीं था, बल्कि पड़ोसी देशों और पश्चिमी शक्तियों को यह संकेत देने के लिए था कि चीन किसी भी वैश्विक शक्ति से पीछे नहीं है।
भारत जैसे पड़ोसी देशों के लिए यह विकास चिंता का विषय है। भारत-चीन सीमा पर पहले से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है और ऐसे में चीन की सैन्य क्षमता का यह प्रदर्शन एक रणनीतिक दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के लिए भी यह संदेश साफ़ है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन अब पहले से कहीं अधिक जटिल हो चुका है।
बहरहाल, चीन का यह हथियार प्रदर्शन न केवल तकनीकी प्रगति का प्रदर्शन था बल्कि एक राजनीतिक-सामरिक बयान भी था। यह दुनिया को यह जताने का प्रयास है कि बीजिंग अब केवल आर्थिक महाशक्ति ही नहीं, बल्कि सैन्य दृष्टि से भी वैश्विक शक्ति बनने की ओर बढ़ रहा है। सवाल यह है कि क्या यह शक्ति-प्रदर्शन भविष्य में संतुलन और स्थिरता लाएगा या फिर एशिया-प्रशांत क्षेत्र को हथियारों की दौड़ की ओर धकेल देगा।