यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदमीर जेलेंस्की ने पिछले सप्ताह व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ जो बहस की थी वह डोनाल्ड ट्रंप को इतना नागवार गुजर गयी है कि वह यूक्रेन में सत्ता बदलवाने की जुगत में लग गये हैं। बताया जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप की टीम यूक्रेन में विपक्षी नेताओं के साथ गुप्त वार्ता में लगी हुई है, जिससे राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को हटाने के संभावित प्रयास के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं। ट्रंप प्रशासन का प्रयास है कि या तो यूक्रेन में मौजूद विपक्षी नेताओं में से ही कोई अपने देश की बागडोर संभालने पर सहमत हो जाये तो ठीक है वरना बाहर से किसी यूक्रेनी को लाकर कीव में बिठा दिया जायेगा। बताया जा रहा है कि लंदन में यूक्रेन के राजदूत को भी इस काम के लिए तैयार होने के लिए कहा जा रहा है। हम आपकों बता दें कि हाल ही में यूक्रेनी राष्ट्रपति के लंदन दौरे के दौरान वहां उनके राजदूत उनकी अगवानी के लिए नहीं पहुँचे थे।
जहां तक ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों की यूक्रेन के विपक्षी नेताओं से हुई चर्चा की बात है तो आपको बता दें कि विपक्षी नेता यूलिया टिमोशेंको और पूर्व राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंको की पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों के साथ हुई चर्चा यूक्रेन में शीघ्र राष्ट्रपति चुनाव कराने की संभावना पर केंद्रित थी। अमेरिका की शह पर अब यूक्रेन में नई सरकार बनवाने की जो कवायद चल रही है उससे पहले ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन को सैन्य सहायता के साथ ही खुफिया जानकारी साझा करना भी बंद कर दिया है जिससे रूस के खिलाफ यूक्रेन के अभियान में बड़ी बाधा खड़ी हो गयी है। यह एक ऐसा कदम है जिससे यूक्रेन के लोग जेलेंस्की से नाराज बताये जा रहे हैं क्योंकि उनकी जिद ने उनके भविष्य को पूरी तरह खतरे में डाल दिया है।
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हम आपको यह भी बता दें कि यूक्रेन के विपक्षी नेता यूलिया टिमोशेंको अनुभवी राजनीतिक खिलाड़ी हैं। वह दो बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं और लंबे समय से राष्ट्रपति पद की आकांक्षा रखते हैं। वह अपना सपना पूरा होने की राह में जेलेंस्की को बड़ा रोड़ा मानते हैं लेकिन दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप की टीम के साथ बातचीत के बावजूद, उन्होंने ज़ेलेंस्की का बचाव करते हुए कहा है कि युद्ध के दौरान चुनाव “असंभव और अनैतिक” होंगे। यही नहीं, यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति और अरबपति पेट्रो पोरोशेंको, जिन्हें “चॉकलेट किंग” के नाम से जाना जाता है, वह ज़ेलेंस्की के बड़े आलोचकों में भी शुमार हैं, लेकिन उन्होंने भी युद्धविराम से पहले चुनाव कराने का भी विरोध किया है।
दरअसल, यूक्रेन में अभी मार्शल लॉ लगा हुआ है और इसका हवाला देते हुए जेलेंस्की देश में चुनाव करवाने से इंकार कर रहे हैं। यदि फरवरी 2022 में रूस द्वारा आक्रमण शुरू करने के बाद यूक्रेन में मार्शल लॉ लागू नहीं होता, तो देश में पिछले साल मई में चुनाव हो गए होते। हम आपको बता दें कि ‘मार्शल लॉ’ अधिनियम को यूक्रेन ने 24 फरवरी 2022 को लागू किया था। यह आपातकाल में यूक्रेन में सभी चुनावों पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगाता है।
यह भी कहा जा रहा है कि जेलेंस्की सैद्धांतिक रूप से चुनावों के खिलाफ नहीं हैं और उन्होंने इस बात पर सहमति जताई है कि चुनाव सही समय पर होने चाहिए। जेलेंस्की ने इस साल दो जनवरी को एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘मार्शल लॉ खत्म हो जाने के बाद गेंद संसद के पाले में होती है- संसद फिर चुनाव की तारीख तय करती है।’’ जेलेंस्की ने कहा था कि समस्या समय और परिस्थिति की है। उन्होंने कहा था कि युद्ध के दौरान चुनाव नहीं हो सकते। कानून, संविधान और अन्य चीजों में बदलाव करना जरूरी है। ये महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं, लेकिन कुछ मानवीय चुनौतियां भी हैं।
हम आपको यह भी बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से यूक्रेन से चुनाव कराने का आह्वान किया है और ऐसा नहीं करने के लिए ज़ेलेंस्की को “तानाशाह” भी करार दिया है। पिछले महीने सऊदी अरब में हुई बैठक में भी अमेरिका ने किसी भी शांति समझौते के एक महत्वपूर्ण हिस्से के तहत यूक्रेन में चुनावों पर चर्चा की थी। ट्रंप ने स्वयं 18 फरवरी को संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘‘हमारे पास ऐसी स्थिति है कि यूक्रेन में चुनाव नहीं हुए हैं। वहां ‘मार्शल लॉ’ है।’’ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी कह चुके हैं कि उनका देश शांति वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन समस्या यह है कि यूक्रेन में ऐसा कोई वैध यूक्रेनी प्राधिकार नहीं है, जिसके साथ वह बात कर सके। पुतिन भी कह चुके हैं कि यूक्रेन में निर्वाचित राष्ट्रपति से ही वह बात करेंगे।
बहरहाल, इन गुप्त चर्चाओं ने जेलेंस्की की चिंता बढ़ा दी है। इसके अलावा यूक्रेन में कुछ लोगों को डर है कि ट्रंप द्वारा ज़ेलेंस्की के विरोधियों से संपर्क करने से यदि कोई ट्रंप समर्थक नेता सत्ता में आ गया तो पूरी तरह अमेरिका का दबदबा देश में कायम हो जायेगा। कुछ लोगों को यह भी डर है कि ट्रंप की गुप्त वार्ताओं से डर के कहीं जेलेंस्की ही अमेरिका के मन मुताबिक समझौता या रूस के साथ युद्धविराम ना कर बैठें। इसके अलावा जिस तरह एलन मस्क और तुलसी गबार्ड जैसे प्रभावशाली लोग जेलेंस्की को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए अपना अभियान आगे बढ़ा रहे हैं उससे यूक्रेन में सत्ता विरोधी लहर भी खड़ी हो रही है। देखना होगा कि यूक्रेन की राजनीति के लिए खासतौर पर आने वाले दिन क्या नयापन या बदलाव लाते हैं।