रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इन दिनों यूक्रेन के साथ जंग में उलझे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका की तरफ से मध्यस्थता की कोशिशें भी जारी हैं। लेकिन तमाम संघर्षों के बीच रूस का एक अलग ही स्टैंड इन दिनों नजर आ रहा है। पहले तो खबर आई कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चरमपंथी समूह हमास को थैक्यू कहा है। इसके बाद जो हुआ वो तो और भी चौंकाने वाला है। रूस ने अफगानिस्तान के तालिबान को आतंकवादी ग्रुप मानने से इनकार कर दिया है। हमास के बाद तालिबान के प्रति रूस के अटूट प्रेम से दुनिया हैरान हैं। पुतिन ने हमास को थैक्यू क्यों बोला ये तो आपको आगे बताएंगे लेकिन पहले आपको तालिबान को आतंकवादी संगठनों की लिस्ट से डिलिस्ट करने की कहानी बता देते हैं। दरअसल, रूस के सुप्रीम कोर्ट ने आधिकारिक तौर पर तालिबान को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की सूची से हटा दिया। रूस ने 2003 से तालिबान को आतंकवादी समूह घोषित किया हुआ था और रूसी कानून के तहत उनके साथ किसी भी तरह की बातचीत को आपराधिक अपराध माना जाता था।
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यह हालिया फैसला एक कूटनीतिक बदलाव का प्रतीक है और इसे तालिबान की जीत के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने 2021 में अफ़गानिस्तान में सत्ता में लौटने के बाद से अंतरराष्ट्रीय वैधता की मांग की है। साथ ही, तालिबान के प्रतिनिधिमंडल रूस द्वारा आयोजित विभिन्न मंचों में शामिल हुए हैं, क्योंकि मास्को ने खुद को क्षेत्रीय शक्ति दलाल के रूप में स्थापित करने की कोशिश की है। अभियोक्ता जनरल के कार्यालय के अनुरोध पर अदालत के फैसले से पहले पिछले साल एक कानून पारित किया गया था, जिसमें कहा गया था कि आतंकवादी संगठन के रूप में आधिकारिक पदनाम को अदालत द्वारा निलंबित किया जा सकता है।
हमास को पुतिन का धन्यवाद
अब बात इजरायल में 7 अक्टूबर को हिंसक हमले को अंजाम देने वाले चरमपंथी समूह हमास की कर लेते हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अक्टूबर 2023 में इजराइल पर हमले के दौरान अगवा किए गए तीन रूसी बंधकों को रिहा करने के लिए फलस्तीनी चरमपंथी समूह हमास का शुक्रिया अदा किया है। पुतिन ने गाजा पट्टी में फरवरी में रिहा किए गए रूसी नागरिक एलेक्जेंडर ट्रूफानोव और उसके परिवार के दो सदस्यों का क्रेमलिन (रूस का राष्ट्रपति कार्यालय) में स्वागत किया। खबर में पुतिन के हवाले से कहा गया है कि यह तथ्य कि आप अब आजाद हैं, फलस्तीनी लोगों और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ रूस के कई वर्षों के स्थिर संबंधों का नतीजा है। इजराइल पर सात अक्टूबर 2023 को हमास के अप्रत्याशित हमले में कम से कम 1,200 लोगों की मौत हो गई थी और 251 अन्य को बंधक बना लिया गया था। इसके बाद इजराइल ने गाजा पट्टी में जवाबी कार्रवाई की थी, जिससे दोनों पक्षों के बीच युद्ध छिड़ गया था। इजराइल-हमास युद्ध में 50 हजार से अधिक फलस्तीनी मारे जा चुके हैं।
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अफगानिस्तान की सीमा पर रूस की सेना
कुछ दिनों पहले हमने ही अपनी रिपोर्ट में आपको अफगानिस्तान की सीमा पर रूस द्वारा अपनी सेना भेजे जाने की खबर बताई थी। रूस की सेना ने तजाकिस्तान के साथ मिलकर अफगानिस्तान की सीमा पर जबरदस्त युद्धाभ्यास किया था। ये सारा बवाल दुनिया के सबसे स्ट्रेटजिक एयर बेस में से एक बगराम एयरबेस में कब्जे के लिए हो रहा है। अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस भारत के बेहद नजदीक है। बगराम एयरबेस से भारत, रूस, चीन, ईरान पाकिस्तान, सेंट्रल एशिया और यहां तक कि यूरोप पर भी नजर रखी जा सकती है। रणनीति के हिसाब से ये दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण इलाकों में से एक है। 2021 में अमेरिकी सेना के अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के बाद चीन बगराम एयरबेस पर कब्जे की कोशिश में लगा हुआ है क्योंकि चीन बगराम एयरबेस के पास ही अपनी एक न्यूक्लियर फैसिलिटी बना रहा है। इस खबर ने अमेरिका के होश दिए क्योंकि यह इलाका कभी अमेरिका के कब्जे में था। अमेरिका के 20 साल तक चले अफगानिस्तान युद्ध के दौरान बगराम एयरबेस अमेरिकी सेना का गढ़ था। 20 सालों तक अमेरिका ने अफगानिस्तान और उसके आस पास के देशों पर जितने ऑपरेशन किये हैं वो बगराम एयरबेस पर बैठकर ही किये हैं।
बगराम एयरबेस पर कब्जा चाहता है रूस
अमेरिका फिर से बगराम एयरबेस पर कब्जा चाहता है। यहां से वो रूस, चीन, ईरान और कुछ हद तक भारत पर नियंत्रण रखना चाहता है। इस काम के लिए अमेरिका पाकिस्तान से मदद ले सकता है। यह खबर सुनते ही रूस भी एक्टिव हो गया क्योंकि 1950 में चल रही जंग के चलते रूस ने हीं बगराम एयरबेस बनाया था। बगराम एयरबेस सोवियत संघ का भी गढ़ रहा है।