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Gotabaya Rajapaksa ने सामूहिक कब्र की जांच रोकने के लिए पुलिस रिकॉर्ड नष्ट करने का आदेश दिया : रिपोर्ट

कोलंबो। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पर आरोप है कि उन्होंने एक इलाके में मिली सामूहिक कब्र की जांच को प्रभावित करने के लिए पुलिस रिकॉर्ड नष्ट करने का आदेश दिया था। यह सामूहिक कब्र उस जगह मिली था जहां 1989 में हिंसक मार्क्सवादी विद्रोह के चरम पर रहने के दौरान वह एक सैन्य अधिकारी के तौर पर नियुक्त थे। बृहस्पतिवार को जारी एक रिपोर्ट में पूर्व राष्ट्रपति पर ये आरोप लगाए गए हैं।
इंटरनेशनल ट्रूथ एंड जस्टिस प्रोजेक्ट, जर्नलिस्ट्स फॉर डेमोक्रेसी इन श्रीलंका और फैमिलीज ऑफ द डिसएपियर्ड सहित सामाजिक कार्यकर्ताओं के संगठनों द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले तीन दशक में इन सामूहिक कब्रों की खुदाई के बाद सैकड़ों अवशेष निकाले गए हैं लेकिन पीड़ितों की पहचान और उनके अवशेषों को उनके रिश्तेदारों को पहुंचाने का कोई प्रयास नहीं किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन अज्ञात सामूहिक कब्र में अब भी हजारों शव दफन हो सकते हैं जिनका पता नहीं चला है।
रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंकाई सरकारों द्वारा स्थापित कई जांच आयोगों में से किसी को भी सामूहिक कब्र की जांच करने का आदेश नहीं दिया गया। इसके बजाय, सच्चाई को उजागर करने के प्रयासों को अवरुद्ध किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, जब सामूहिक कब्र की खोज की गई और जांच शुरू हुई, तो न्यायाधीशों और फॉरेंसिक विशेषज्ञों को अचानक स्थानांतरित कर दिया गया, परिवारों के वकीलों को उन स्थानों तक पहुंच से वंचित कर दिया गया, जीवित गवाहों को खोजने का कोई प्रयास नहीं किया गया, कोई पोस्टमार्टम आंकड़ा एकत्र नहीं किया गया और बहुत ही दुर्लभ मामलों में जहां किसी को दोषी ठहराया गया, बाद में उसे माफ कर दिया गया।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि सामूहिक कब्र खोदने में राजपक्षे की कथित भूमिका राजनीतिक हस्तक्षेप का एक उदाहरण थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राजपक्षे उस समय एक शक्तिशाली रक्षा अधिकारी थे। आरोप हैं कि उन्होंने 2013 में मध्य श्रीलंका के मटाले जिले में सामूहिक कब्र की खोज के बाद क्षेत्र के पुलिस थानों में पांच साल से अधिक पुराने सभी पुलिस रिकॉर्ड को नष्ट करने का आदेश दिया था।

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