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भारत ने टैरिफ पर अमेरिका को कोर्ट में घसीटा, ट्रंप को देना पड़ा जवाब

ट्रंप के टैरिफ के बाद व्यापार को लेकर पूरी दुनिया में बवाल मचा हुआ है। अमेरिका ने व्यापारिक स्तर पर हर एक देश को अपने अपने तरीके से झटका दिया। भारत भी इसमें शामिल था। भारत के स्टील और एल्यूम्यूनियम के आयात पर लगाया गया अमेरिका का टैरिफ भारत के लिए बड़ा बोझ था और नतीजन भारत को अपनी शिकायत लेकर वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के पास जाना पड़ा। अब वहीं वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन अमेरिका को बुलाकर इस पर जवाब मांगा है। अमेरिका ने इस पूरे मामले को लेकर सफाई दी है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन यानी वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन को बताया है कि स्टील और एल्यूम्यूनियम के आयात पर टैरिफ लगाने का उसका फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लिया गया था न कि सुरक्षा उपाय के तौर पर। अमेरिका ने इन दोनों ही बातों में फर्क बताया और कहा कि इन दोनों ही बातों में बड़ा फर्क है। 

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बता दें कि भारत ने इसी महीने की शुरुआत में वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन में एक शिकायत दर्ज कराई थी। इसी शिकायत को औपचारिक चुनौती देते हुए अमेरिका ने इस पर सफाई दी। बयान में अमेरिका ने कहा कि टैरिफ अमेरिकी व्यापार कानून की धारा 232 के तहत लगाए गए थे जो राष्ट्रपति को राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाले आयातों को प्रतिबंधित करने का अधिकार देता है। बयान में कहा गया कि अमेरिका ने नोट किया है कि सुरक्षा उपायों पर समझौते के अनुच्छेद 12.3 के तहत परामर्श के लिए भारत के अनुरोध का आधार ये है कि टैरिफ सुरक्षा उपाय है। यानी सुरक्षा उपाय के तहत अमेरिका ने भारत के खिलाफ टैरिफ लगाने का फैसला किया।  

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दरअसल, भारत द्वारा निर्यात किए जा रहे स्टील और एल्यूम्यूनियम पर अमेरिका ने टैरिफ लगाने कि घोषणा की थी। भारत इसके विरोध में वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के पास गया। जिसे अमेरिका की तरफ से वैध बताया गया है। भारत ने 11 अप्रैल को वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन में ये शिकायत दर्ज कराई थी। भारत ने तर्क दिया था कि टैरिफ चाहे अमेरिका उन्हें कैसे भी लेबल करे मूल रूप से ये सुरक्षा उपाय है जो औपचरिक अधिसूचना और परामर्शों समेत डब्ल्यूटीओ नियमों के तहत स्पष्ट दायित्वों के साथ आते हैं। भारत ने कहा कि अमेरिका द्वारा इन उपायों को सुरक्षा उपायों के रूप में वर्णित करने के बावजूद वो मूल रूप से सुरक्षा उपाय है। भारत ने अमेरिका पर सुरक्षा उपायों पर समझौते के तहत आवश्यक  डब्ल्यूटीओ सुरक्षा समिति को सूचित करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। 

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