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G20 की बैठक से किनारा करने की भूल करने के बाद क्या बैकफुट पर आ गया चीन? भारत के लिए ये रहा फायदेमंद

भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन की सफलता को दुनिया में सराहा जा रहा है। अमेरिका, यूरोप और गल्फ से लेकर जी-20 के सदस्य और गैर सदस्य देश भारत की तारीफ कर रहे हैं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए। उनके शामिल न होना भारत के लिए फायदेमंद ही रहा। पीएम मोदी को बाइडेन के साथ मिलकर ग्लोबल साउथ के लीडर के रूप में खुद को स्थापित करने का अवसर भी मिला। वहीं जिनपिंग को इस बैठक में न आने का इल्म भी हो रहा होगा। चीनी मीडिया में बीते दिनों इस बात की चर्चा भी हुई थी कि जिनपिंग के इस महत्वपूर्ण बैठक से किनारा करने को लेकर वरिष्ठ चीनी नेताओं की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा।  

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दरअसल जापानी मीडिया आउटलेट निक्केई एशिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि हेबेई प्रांत के बेइदेही में वार्षिक बैठक हुई। रिपोर्ट के अनुसार, इसमें चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के निवर्तमान और रिटायर्ड नेताओं ने शी जिनपिंग को काफी फटकार लगाई है. इसके बाद शी ने अपने करीबियों के सामने निराशा भी जताई। रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी राष्ट्रपति को मुख्यतः तीन मुद्दों पर पार्टी के रिटायर्डे नेताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ा। शी जिनपिंग पहली बार जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए जबकि वह इसे काफी महत्व देते हैं। उनकी जगह प्रधानमंत्री ली कियांग दिल्ली में होने वाले जी20 समिट में शामिल हुए। 
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नई दिल्ली घोषणा पत्र पर चीन का रुख
चीन ने कहा कि G20 के नई दिल्ली घोषणापत्र ने सकारात्मक संदेश दिया है कि यह प्रभावशाली समूह दुनिया की चुनौतियों को सामना करने और आर्थिक सुधार के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। जी20 सम्मेलन के नतीजों पर चीन की यह पहली प्रतिक्रिया है। चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि G20 सम्मेलन के लिए तैयारियों के क्रम में चीन ने भारत का सहयोग किया है। चीन ने इसमें हमेशा। सकारात्मक भूमिका निभाई है।

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