पाकिस्तान के साथ आए इस्लामिक राष्ट्रों का जवाब देने के लिए भारत के साथ रूस, इजरायल और जापान जैसे देश मजबूती से आकर खड़े हो गए हैं। धर्म के नाम पर तुर्कीए पाकिस्तान के साथ खड़ा है। रूस आतंकवाद के खिलाफ भारत के हर एक्शन का समर्थन कर रहा है। धर्म के नाम पर ईरान पाकिस्तान की निंदा नहीं कर रहा है। वहीं इजरायल आतंकवाद के खिलाफ भारत को पूर्ण समर्थन दे रहा है। धर्म के नाम पर मलेशिया पाकिस्तान की मांग का समर्थन कर रहा है। जापान ने आतंक के खिलाफ भारत को अपना समर्थन दिया है। जापान के रक्षा मंत्री जनरल नकातानी भी भारत पहुंचे। उन्होंने भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात की। पहलगाम हमले पर भारत के साथ एकजुटता दिखाई। इस मुद्दे पर भारत को पूर्ण समर्थन देने की पेशकश की। यानी जापान ने भी साफ कर दिया है कि इस जंग में आतंकवाद के खिलाफ और भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।
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दोनों मंत्रियों ने भारत और जापान के बीच मजबूत समुद्री सहयोग में नए आयाम जोड़ने पर सहमति व्यक्त की। नकातानी की भारत यात्रा पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच हुई है। प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में अपने प्रारंभिक वक्तव्य में सिंह ने कहा कि मैं पहलगाम आतंकवादी हमले के मद्देनजर भारत के साथ एकजुटता की मजबूत अभिव्यक्ति के लिए जापान सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं। नकातानी ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के प्रति एकजुटता व्यक्त की।
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वैसे तो आतंकवाद को भारत अकेले ही मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। लेकिन अगर धर्म के नाम पर आतंकी देश झुंड में आते भी हैं तो भ भारत के साथ सहयोगियों की कमी नहीं है। दुनिया के कुछ देश ऐसे भी हैं जो भारत को संयम बरतने और पाकिस्तान के साथ तनाव कम करने की नसीहत भी दे रहे हैं। ऐसे देशों के लिए मोदी के गो टू मैन भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खरी खर भी सुनाई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूरोपीय देशों को दो टूक संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भारत को प्रवचन या ज्ञान देने वाले नहीं, बल्कि परस्पर सम्मान और हितों पर आधारित दोस्त चाहिए। उल्लेखनीय है कि पहलगाम आतंकी हमले पर यूरोपीय संघ ने टिप्पणी करते हुए पाकिस्तान की आलोचना नहीं की थी। इसी टिप्पणी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि कुछ दूसरों को नैतिकता सिखाते हैं लेकिन खुद उस पर अमल नहीं करते।
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जयशंकर ने रूस के साथ अमेरिका के साथ भी परस्पर हितों पर आधारित संबंधों की वकालत की। संदेश साफ है कि भारत को ज्ञान नहीं चाहिए। भारत दुनिया में सहयोगियों की तलाश कर रहा है। इन सहयोगियों को आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ युद्ध में भी खड़ा होना चाहिए। आने वाले वक्त में भारत भी सिर्फ ऐसे ही देशों का सहयोग करेगा जो भारत का साथ देंगे।
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