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Prabhasakshi Exclusive: सीमापार से आतंकवाद को मिलने वाली शह से जो दर्द मिलता है उसका अहसास Pakistan को कैसे हो रहा है?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि पाकिस्तान में आतंकी हमले बढ़े तो उसकी सेना ने कह दिया कि ‘पड़ोसी देश’ में टीटीपी को आधुनिक हथियार मिलना आतंकी हमलों में वृद्धि की एक वजह है। क्या आपको लगता है सीमा पार से आतंकवाद को शह मिलने का मतलब पाकिस्तान को समझ आ गया है। साथ ही पाकिस्तान को जिस तरह से कर्ज पर कर्ज आसानी से मिलता जा रहा है उसको कैसे देखते हैं आप? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारियों ने तालिबान शासित अफगानिस्तान का परोक्ष उल्लेख करते हुए कहा है कि ‘एक पड़ोसी देश’ में प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों को उपलब्ध पनाहगाह और आधुनिकतम हथियार हाल में आतंकवादी हमले बढ़ने के पीछे एक कारण है। पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने पड़ोसी देश का नाम नहीं लिया लेकिन माना जा रहा है कि उनका आशय अफगानिस्तान से था जिस पर पाकिस्तान ने पिछले सप्ताह प्रतिबंधित टीटीपी को सक्रिय रहने देने का आरोप लगाया था।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने भले किसी देश का नाम नहीं लिया लेकिन पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दावा किया कि उनके देश में खून-खराबा करने वाले आतंकवादियों को पड़ोसी देश अफगानिस्तान में शरण मिल रही है और पाकिस्तान अब इसे सहन नहीं करेगा। आसिफ ने कहा था कि अफगानिस्तान पड़ोसी देश होने का कर्तव्य नहीं निभा रहा है और दोहा समझौते का पालन नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा था कि पचास से साठ लाख अफगानों को सभी अधिकारों के साथ पाकिस्तान में 40 से 50 वर्ष के लिए शरण प्राप्त है। पाकिस्तानी मंत्री ने कहा था कि लेकिन इसके विपरीत पाकिस्तानियों का खून बहाने वाले आतंकवादियों को अफगानी धरती पर पनाह मिल सकती है। इस तरह की स्थिति अब और नहीं चल सकती। पाकिस्तान अपनी सरजमीं और नागरिकों की रक्षा के लिए अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल करेगा।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि लेकिन इस्लामाबाद द्वारा अस्थिरता पैदा करने का आरोप लगाए जाने के बाद व्हाइट हाउस ने कहा है कि पाकिस्तान में रह रहे या अफगानिस्तान के साथ लगने वाली सीमा पर रह रहे अफगान शरणार्थियों के आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के कोई संकेत नहीं मिले हैं। व्हाइट हाउस में राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा है कि पाकिस्तान में या अफगानिस्तान से लगने वाली उसकी सीमा पर रह रहे अफगान शरणार्थियों के आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के हमें कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। जॉन किर्बी ने कहा था कि इतनी अधिक संख्या में अफगान नागरिकों की मदद करने के लिए अमेरिका पाकिस्तान की सराहना करता है और हम आतंकवाद की चुनौतियों से निपटने के लिए पाकिस्तान के साथ काम करना जारी रखेंगे।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वैसे अफगान तालिबान ने पाकिस्तान सरकार से प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के साथ वार्ता का दूसरा दौर शुरू करने को कहा है। काबुल में अफगान तालिबान के एक शीर्ष नेता ने पाकिस्तान सरकार से कहा है कि उसे लड़ाई की जगह शांति को वरीयता देनी चाहिए। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने यह स्पष्ट संदेश देने के लिए इस हफ्ते अपने विशेष दूत को तीन दिनों की यात्रा पर काबुल भेजा था कि अफगानिस्तान की तालिबान नीत अंतरिम सरकार को टीटीपी के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करनी होगी। विशेष दूत राजदूत असद दुर्रानी ने अपनी यात्रा के दौरान अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मौलवी अब्दुल कबीर, कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी और अन्य अधिकारियों के साथ भेंटवार्ता की। लेकिन कई बैठकों के बाद अफगान तालिबान ने उनसे कहा कि पाकिस्तान को बलप्रयोग के स्थान पर शांति के मार्ग पर बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि अफगान तालिबान के 2021 में काबुल की सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में टीटीपी के हमले में काफी वृद्धि हुई है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक पाकिस्तान को कर्ज की बात है तो वह लगातार बढ़ता जा रहा है। दुनिया के बड़े देश भी यही चाहते हैं कि किसी तरह इस देश का गुजारा चलता रहे वरना यदि आतंकवादी यहां हावी हुए तो दुनिया के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक संस्थाओं के अलावा यूएई और चीन से ही पाकिस्तान को कर्ज मिल रहा है। अब तो चीन ने पाकिस्तान के दो अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के कर्ज को दो साल के लिए पुनर्गठित करने पर भी सहमति जताई है। इस फैसले से नकदी संकट से जूझ रहे देश को बड़ी राहत मिलेगी, जो नए कर्ज के जरिए विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

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