ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत करने पहुंचे और उन्होंने पाकिस्तान व चीन का नाम लिए बगैर पहलगाम आतंकी हमले पर दोनों देशों को आड़े हाथों लिया। पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद के पीड़ितों और समर्थकों को एक ही तराजू में नहीं तोलना चाहिए। पीएम मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन में कहा कि आतंकवाद आज मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने शांति और सुरक्षा के मुद्दे पर बात की और मानवता के लिए इसे सबसे बड़ा खतरा बताया और कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में कोई समझौता नहीं होना चाहिए। ब्रिक्स समम्मेलन में पहलगाम आतंकी हमले का एक साझा बयान भी जारी किया गया है।
17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में बहुपक्षवाद, आर्थिक-वित्तीय मामलों और कृत्रिम मेधा को सुदृढ़ करने’ पर आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस समूह की ताकत इसकी विविधता और बहुध्रुवीयता के प्रति साझा प्रतिबद्धता में निहित है। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स समूह की विविधता और बहुध्रुवीयता में हमारी दृढ़ आस्था ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हमें विचार करना होगा कि आने वाले समय में ब्रिक्स किस प्रकार एक बहुध्रुवीय विश्व के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति बन सकता है।’ उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वैश्विक मंच पर गंभीरता से लिए जाने के लिए ब्रिक्स को पहले अपने आंतरिक ढांचे और प्रणालियों को सुदृढ़ करना होगा। प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा सबसे पहले, हमारे अपने तंत्रों को बेहतर बनाने पर जोर होना चाहिए, ताकि जब हम बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की बात करें तो हमारी विश्वसनीयता भी मजबूत हो।
घोषणा पत्र में क्या कहा गया?
ब्रिक्स देशों के साझा घोषणापत्र में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की धारा 34 में कड़े शब्दों में निंदा की गई है। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी और कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए थे। घोषणापत्र में इस हमले का जिक्र करते हुए इसे ‘आतंकवाद की क्रूर और अमानवीय कार्रवाई’ बताया गया है। भारत के लिए ये बड़ी कूटनीतिक सफलता है क्योंकि इस मंच पर चीन भी मौजूद था। हालांकि पूरे घोषणापत्र में पाकिस्तान का नाम सीधे तौर पर कहीं नहीं है लेकिन सीमा-पार आतंकवादियों की आवाजाही और आतंक की सुरक्षित पनाहगार और आतंकियों को आर्थिक सहयोग जैसे शब्दों का जिक्र जरूर किया गया है। इन शब्दों का सीधा इशारा पाकिस्तान की ओर ही है। चीन की मौजूदगी में पहलगाम हमले पर इस तरह का घोषणा पत्र महत्वपूर्ण इसलिए हो जाता है क्योंकि इससे पहले चीन ने कभी भी इस मुद्दे पर अपना सकारात्मक रुख नहीं दिखाया था।
मोदी ने चीन-पाक को दिखाया अपना रौद्र रूप
पाकिस्तान व चीन का नाम लेना और फिर भी सीधे तौर पर उन्हें संदेश देना इसमें दो चीजें है। पाकिस्तान का नाम लेने न लेने के बावजूद इशारा किसकी तरफ था। पहलगाम अटैक को लेकर जिस तरह से यहां पर डिक्लेरेशन में इसकी निंदा की गई। इसके बाद जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल आतंकवाद को लेकर किया गया। वो लगभग वही प्रतिध्वनि थी जिसकी बात भारत करता रहा है। जिसकी बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में उठाई। सबसे महत्वपूर्ण ये है कि चीन भी उस बैठक का हिस्सा था। चीन जिस तरह से पाकिस्तान के प्रति हमदर्दी दिखाता रहा है। एक तरह से उस भी आईना दिखाया गया है। कूटनीति की एक मर्यादा होती है जिसमें नाम लिए बिना आप मुद्दों को उठाते हैं। चाहे मामला टैरिफ का या फिर यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी कांउसिल के रिफार्म का हो या फिर आतंकवाद से जुड़ा हो।
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