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एक इंजीनियर ने कैसे रचा इतिहास, कौन हैं वेनेजुएला की आयरन लेडी मचाडो? जिन्हें मिला 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पीस प्राइज नहीं मिला है। महीनों के इंतजार के बाद आज दोपहर ढाई बजे नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने नोबेल पीस प्राइज की घोषणा कर दी है। इसकी विजेता वेनुजेएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो हैं। डेमोक्रेटिक राइट्स को अपने देश में बढ़ावा देने, महिलाओं के हित में काम करने और डिक्टेटरशिप से डेमोक्रेसि तक के वेनेजुएला के सफर को आगे बढ़ाने और सहयोग देने के लिए मारिया कोरिना मचाडो को ये पुरस्कार मिला है। डोनाल्ड ट्रंप लगातार न सिर्फ अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे बल्कि दूसरे देशों के नेताओं के द्वारा भी करवा रहे थे। वो दावा कर रहे थे कि उन्होंने 6-7 युद्ध रुकवाए हैं। नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा से एक दिन पहले ही गाजा में शांति की दिशा में एक कदम आगे बढ़ने का फैसला लिया गया। बंदियों को छोड़ने पर सहमति मनी। जिसके बाद ये माना जा रहा था कि ट्रंप नोबेल पीस प्राइज के बड़े दावेदार रहेंगे। लेकिन ट्रंप के सपने धरातल पर आ गए और वेनेजुएला की विपक्षी लीडर मचाडो ने बाजी मार ली है।  

मारिया कोरिना मचाडो कौन हैं?

7 अक्टूबर, 1967 को जन्मी मचाडो वेनेज़ुएला सरकार द्वारा मानवाधिकारों के हनन की मुखर आलोचक रही हैं और उन्होंने देश में लोकतंत्र और शांति की वकालत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मचाडो ने 2002 में नागरिक संगठन सुमाते की सह-स्थापना करके अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की, जिसका उद्देश्य चुनावी पारदर्शिता को बढ़ावा देना था। वह 2011 से 2014 तक राष्ट्रीय सभा की सदस्य रहीं। 2013 में, उन्होंने उदार और लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप, वेंटे वेनेज़ुएला नामक राजनीतिक दल की स्थापना की। अपने पूरे करियर के दौरान, मचाडो मानवाधिकारों की एक प्रबल समर्थक रही हैं और वेनेज़ुएला में सत्तावादी शासन को चुनौती देने के अपने प्रयासों के लिए जानी जाती हैं। वेनेज़ुएला में शांति और लोकतंत्र को बढ़ावा देने के उनके अथक प्रयासों के लिए मचाडो को 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। उनका नामांकन उनके साहसी नेतृत्व और मानवाधिकारों एवं लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

2024 के राष्ट्रपति चुनाव में मचाडो की अयोग्यता

2024 के वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति चुनाव में, मारिया कोरिना मचाडो को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था, हालाँकि उन्हें विपक्षी प्राइमरी में 92% से ज़्यादा वोट मिले थे। अयोग्यता के बाद, उन्होंने एडमंडो गोंजालेज का समर्थन किया, जिन्होंने 70% वोटों के साथ चुनाव जीत लिया। हालाँकि, चुनावी धोखाधड़ी की खबरों और विपक्ष की भागीदारी पर प्रतिबंधों के कारण गोंजालेज की जीत की आलोचना हुई। इन चुनौतियों के बावजूद, मचाडो वेनेज़ुएला में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की एक प्रमुख आवाज़ बनी हुई हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित कर रही हैं।

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