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Trump को सबक सिखाने वाला नेता चुनने के लिए कनाडा में वोट? राष्ट्रवाद की लहर पर सवार लिबरल, कंजर्वेटिव बदलाव लाने की कर रहा अपील

क्षेत्रफल के लिहाज़ से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश कनाडा जिसकी आबादी क़रीब साढ़े तीन करोड़ है। उसी कनाडा में 28 अप्रैल को चुनाव है। इस चुनाव में लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी का मुकाबला कंजर्वेटिव पार्टी के प्रमुख पियरे पोलीवरे से है। कनाडा की संसद यानी हाउस ऑफ़ कॉमन्स में कुल 338 सीटें हैं और एक पार्टी को बहुमत की सरकार बनाने के लिए 170 सीटों की ज़रूरत होती है। कनाडा में आम चुनाव 20 अक्टूबर से पहले नहीं होने वाले थे, लेकिन पीएम कार्नी ने अपनी लोकप्रियता कहा जा रहा है कि कार्नी अपनी लोकप्रियता का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद पीएम पद की शपथ ली थी। 
ट्रूडो का इस्तीफा कार्नी को कमान
कनाडा में दो पार्टियां मुख्य तौर पर हैं। एक कंजर्वेटिव और दूसरी लिबरल पार्टी है। लिबरल पार्टी से दो चुनाव जीतकर ट्रूडो सत्ता में आए। लेकिन 6 जनवरी का दिन कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो मीडिया के सामने आए और अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। उनके पिता पियरे ट्रूडो भी कनाडा के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। बाद में मार्क कार्नी को प्रधानमंत्री बनाया गया था। 

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कनाडा चुनाव के बड़े प्लेयर्स
मार्क कार्नी: 59 वर्षीय मार्क कार्नी एक बहुत ही सम्मानित अर्थशास्त्री और पूर्व केंद्रीय बैंकर हैं, जिन्हें बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड दोनों में उनके नेतृत्व के लिए जाना जाता है। कार्नी का जन्म 16 मार्च, 1965 को कनाडा के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के फोर्ट स्मिथ के छोटे से शहर में हुआ था और उनका पालन-पोषण एडमॉन्टन, अल्बर्टा में हुआ था। उन्होंने 1988 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की। ​​बाद में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में आगे की पढ़ाई की, जहाँ उन्होंने अर्थशास्त्र में मास्टर और डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। कई कनाडाई लोगों की तरह, कार्नी को भी आइस हॉकी का शौक था और उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में हार्वर्ड की टीम के लिए बैकअप गोलकीपर के रूप में भी काम किया। कार्नी ने 2008 से 2013 तक बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर के रूप में कार्य किया, जहाँ उन्होंने वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान देश को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उस अवधि के दौरान उनके नेतृत्व ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। 
पियरे पोलीव्रे (कंज़र्वेटिव पार्टी): हाई टैक्स रेट, मुद्रास्फीति और उदारवादी अभिजात्यवाद के खिलाफ़ आवाज़ उठाने वाले के रूप में पियरे ने अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने कर को समाप्त करने” (कार्बन कर का संदर्भ देते हुए), आवास संकट को ठीक करने और सरकारी अपव्यय को कम करने का वादा किया है। पोलीव्रे का मुख्य लक्ष्य लगभग एक दशक तक विपक्ष में रहने के बाद आखिरकार कंज़र्वेटिवों को सत्ता में वापस लाना है।
जगमीत सिंह: जगमीत सिंह का जन्म 2 जनवरी, 1979 को स्कारबोरो, ओंटारियो में हुआ था। कनाडा की वामपंथी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता हैं और एक प्रमुख कनाडाई संघीय राजनीतिक दल का नेतृत्व करने वाले अल्पसंख्यक वर्ग के पहले व्यक्ति हैं। उनके माता-पिता बेहतर अवसरों की तलाश में पंजाब, भारत से कनाडा आ गए। राजनीति में प्रवेश करने से पहले, उन्होंने ग्रेटर टोरंटो क्षेत्र में एक वकील के रूप में काम किया। सिंह ने 2011 में ओंटारियो के लिए प्रांतीय संसद (एमपीपी) के सदस्य के रूप में सार्वजनिक कार्यालय में प्रवेश किया, 2017 तक सेवा की और ओंटारियो की विधायिका में पगड़ी पहनने वाले पहले सिख बन गए। अक्टूबर 2017 में एनडीपी के नेता बनकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि हासिल की। 

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तमाम सर्वेक्षण क्या कहते हैं?
डेलीमेल डॉट कॉम/जे.एल. पार्टनर्स द्वारा किए गए एक नए सर्वेक्षण के अनुसार, 28 अप्रैल के चुनाव के लिए लिबरल नेता मार्क कार्नी को कंजर्वेटिव नेता पियरे पोलिएवरे पर मामूली दो अंकों की बढ़त हासिल है। रिपोर्ट के अनुसार, कार्नी को 39% वोट मिले, जबकि पोलिएवरे को 37% वोट मिले। डेली मेल के अनुसार, शेष वोट, लगभग 22%, चार अन्य पार्टियों के बीच विभाजित हो गए। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, यह सर्वेक्षण 9 अप्रैल से 11 अप्रैल के बीच आयोजित किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, 1,000 से अधिक कनाडाई लोगों से राय ली गई। 
कनाडा चुनाव का ट्रम्प फैक्टर
मार्क कार्नी और पियरे पोलीवरे दोनों के निशाने पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ही हैं। अमेरिका से चल रहे टैरिफ वॉर के बीच कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोलीवरे ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कनाडा की संप्रभुता का सम्मना करना चाहिए। मार्क कार्नी ने तो यहां तक कहा कि वो ट्रंप से प्रभावी तरीके से निपटेने और कनाडा की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए जनता का समर्थन चाहते हैं। 
कनाडा चुनाव से जुड़ी खास बातें
सॉवरेन– गवर्नर–जनरल द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया जो आधिकारिक तौर पर कनाडा की रानी का प्रतिनिधित्व करती है। 
उच्च सदन (सीनेट) – सदस्यों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सिफारिश के अनुसार गवर्नर–जनरल द्वारा की जाती है
निचला सदन (हाउस ऑफ कॉमन्स) – नागरिक संघीय आम चुनावों के माध्यम से सदस्यों का चुनाव करते हैं।
सीनेट में 105 और हाउस ऑफ कॉमन्स में 338 सीटें हैं। 
सरकार का गठन हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्यों द्वारा किया जाता है जो कनाडा के नागरिकों द्वारा चुने जाते हैं।
कनाडा में चुनाव हर चार साल में एक बार होते हैं, बशर्ते गवर्नर–जनरल संसद को भंग करने के लिए प्रधानमंत्री की सलाह को स्वीकार कर लेते हैं तो समय से पहले या मध्यवधि चुनाव भी होते हैं।
कुछ प्रांत कहलाते हैं मिनी पंजाब
कनाडा में भारतीय मूल के लोगों खासकर सिख समुदाय की संख्या इतनी अधिक है कि वहां के कुछ प्रांत ‘मिनी पंजाब’ कहलाते हैं। कुल आबादी का 22 प्रतिशत हिस्सा सिखों का है, लिहाजा वहां की राजनीति में भी उनका दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है।

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