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FATF की ग्रे लिस्ट है क्या? जिसमें पाकिस्तान को वापस भेजकर भारत ‘हुक्का-पानी’ के साथ ‘जकात’ भी बंद करवाने की फिराक में है

भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ वैश्विक स्तर पर माहौल बनाने में सफलता पा ली है। राजनयिक स्तर पर आने वाले दिनों में भारत ने पाकिस्तान को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने की योजना बनाई है। भारत यूएनएससी के सभी गैर स्थायी सदस्यों के संपर्क में है। यूरोपीयिन मामलों की परिषद भी इस मुद्दे को उठाया जाएगा। भारत पाकिस्तान की आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है। इसमें एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान को वापस लाने के प्रयासों को मजबूत करना शामिल है। एफएटीएफ दुनियाभर में पैसों की हेराफेरी और आतंकवाद को दिए जाने वाले पैसे पर नजर रखती है। इसके अलावा आईएमएफ फंडिंग पर आपत्ति जाहिर करना भी शामिल है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान इस पैसे का इस्तेमाल गलत कामों और आतंकी हमलों के लिए कर सकता है। 

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एफएटीएफ क्या है

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) जी-7 ग्रुप की ओर से बनाई गई निगरानी एजेंसी है। इसकी स्थापना इंटरनेशनल लेवल पर मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद और विनाशकारी हथियारों के प्रसार और फाइनैंस को रोकना है। यह ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए ऐसी गतिविधियों को रोकने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय मानक निर्धारित करता है। यह निगरानी के बाद देशों को टारगेट देता है, जैसे आतंकियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई, हथियारों की तस्करी की रोकथाम के लिए कानून बनाने की सलाह देता है। जो देश ऐसा नहीं करते हैं तो उसे वह अपनी ग्रे या ब्लैक लिस्क में डाल देता है। इन लिस्ट में जाने से अंतराष्ट्रीय बैंक से लोन लेने की संभावना कम हो जाती है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार होती है। 

एफएटीएफ का क्या काम है?

एफएटीएफ कई देशों पर मनी लांड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रख उसे लिए नियम बनाता है। आतंकवादी वित्तपोषण जैसे खतरों से निपटना और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिये अन्य कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है। जब भी कोई देश आतंकी संगठनों को पनाह देकर या आतंकी गलिविधियों को बढ़ावा देते हुए आर्थिक मजबूत करता है तो इसे टेरर फंडिंग कहते हैं। 

ग्रे और ब्लैक लिस्ट

एफएटीएफ ग्रे और ब्लैक लिस्ट जारी करता है। ग्रे लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के मामलों की तरफ बढ़ रहा हो। इस लिस्ट में नाम करके एक तरह से इन देशों को चेतावनी दी जाती है कि वो समय रहते अपनी स्थिति को काबू कर लें। वहीं किसी भी देश का एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में शामिल होने का अर्थ होता है कि उस देश को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा वित्तीय सहायता मिलनी बंद हो जाएगी। 

दुनिया के ग्रे लिस्ट देश कौन-कौन से हैं?

एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में अब दुनिया के 23 देश हैं, जिन्हें आधिकारिक तौर पर “रणनीतिक कमियों वाले क्षेत्राधिकार” के रूप में जाना जाता है। पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे लिस्ट’ में डाला गया था। अक्टूबर 2022 में उसे इस लिस्ट से बाहर निकाला गया। जब पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ से हटाया गया था, तब भारत ने कहा था कि पाकिस्तान ने कुछ जाने-माने आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया गया था। इनमें 26/11 के मुंबई हमलों में शामिल आतंकी भी शामिल थे। संक्षेप में एफएटीएफ के आकलन में ये सभी देश अंतरराष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण को रोकने में विफल रहे हैं, और इसलिए, वैश्विक निगरानी सूची में हैं। अपडेटेड ग्रे सूची में कुछ अन्य देश फिलीपींस, सीरिया, यमन, जिम्बाब्वे, युगांडा, मोरक्को, जमैका, कंबोडिया, बुर्किना फासो और दक्षिण सूडान और बारबाडोस आदि हैं। एपएटीएफ ने दो देशों बोत्सवाना और मॉरीशस को भी ग्रे लिस्ट से बाहर भी किया है। 

 

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