चंद्रयान-5 मिशन पर काम कर रही भारतीय और जापानी अंतरिक्ष एजेंसियांजल्द ही लैंडर और रोवर के प्रारंभिक डिजाइन चरण की शुरुआत करेंगी। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) में LUPEX के प्रोजेक्ट मैनेजर असोह दाई के अनुसार, उपकरणों का चयन हो चुका है, इंजीनियरिंग मॉडल का परीक्षण लगभग पूरा हो चुका है और भारत और जापान दोनों प्रारंभिक डिजाइन चरण में प्रवेश कर रहे हैं। चंद्रयान-5, जिसे LUPEX (लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन) के नाम से भी जाना जाता है। इसरो और JAXA के बीच एक संयुक्त परियोजना है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह और उसके नीचे पानी और पानी-बर्फ का अध्ययन करना है। 6.5 टन वजनी इस यान को 2027-28 में किसी समय जापानी रॉकेट H3 से प्रक्षेपित करने का प्रस्ताव है।
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रोवर का उपयोग करके, JAXA की टीमें चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी वाले क्षेत्रों का पता लगाने, सतह में ड्रिलिंग करके आस-पास की मिट्टी या रेगोलिथ का नमूना लेने की योजना बना रही हैं। ऑनबोर्ड उपकरण पानी की मात्रा और उसकी गुणवत्ता को मापेंगे और अन्य इन-सीटू अवलोकन करेंगे। कैबिनेट ने इस साल मार्च में चंद्रयान-5 को मंजूरी दी थी, एक साल से भी ज़्यादा समय पहले भारत चंद्रयान-3 के ज़रिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बना था। प्रस्तावित चंद्रयान-4 मिशन एक वापसी नमूना मिशन होगा: चंद्रमा से खोदे गए नमूनों को इसरो के लिए पृथ्वी पर लाया जाएगा ताकि चंद्र सतह की खनिज संरचना का अध्ययन किया जा सके।
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दाई पिछले सप्ताह नई दिल्ली में आयोजित वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण सम्मेलन में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में इसरो प्रमुख वी नारायणन ने कहा कि चंद्रयान-5 मिशन 3.5 महीने (100 दिन) का प्रस्तावित है। इसरो चंद्रयान-5 का लैंडर विकसित कर रहा है जबकि जेएक्सए 350 किलोग्राम का रोवर बना रहा है। इसमें सात वैज्ञानिक उपकरण होंगे, जिनमें से कुछ यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और नासा द्वारा दिए जाएंगे। ईएसए मास स्पेक्ट्रोमीटर और नासा न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर विकसित कर रहा है – दोनों ही अभी डिजाइन चरण में हैं।