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Prabhasakshi Exclusive: भारत के दुश्मन कहीं ओर ध्यान देते रहे और Ajit Doval Iran जाकर बड़ा खेल कर आये

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में हमने इस सप्ताह ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी से जानना चाहा कि हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की ईरान यात्रा संपन्न हुई। यह यात्रा द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए थी या फिर इसका कोई वैश्विक रणनीतिक महत्व था? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने तेहरान में, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ एक बैठक के दौरान भारत-ईरान संबंधों को विशेष रूप से आर्थिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में एक ‘नये मुकाम’ पर ले जाने की हिमायत की है।
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि ईरान के राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, सोमवार को हुई बैठक में रईसी ने डोभाल को इस बात से भी अवगत कराया कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और ब्रिक्स जैसे समूह वैश्विक भू-राजनीतिक बदलावों के मद्देनजर बहुत प्रभावकारी साबित हो सकते हैं। डोभाल इस सप्ताह एक दिन के दौरे पर सोमवार को ईरान में थे। रईसी से मुलाकात करने के अलावा, उन्होंने अपने ईरानी समकक्ष अली शमखनी और विदेश मंत्री हुसैन अमीरअब्दुल्लाहियान के साथ अलग-अलग वार्ता भी की। डोभाल और अमीरअब्दुल्लाहियान ने अपनी बैठक के दौरान चाबहार बंदरगाह के विकास, आतंकवाद से निपटने के तरीकों, द्विपक्षीय बैंकिंग से जुड़े मुद्दों और अफगानिस्तान में स्थिति पर चर्चा की।

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उन्होंने कहा कि बयान के अनुसार, ईरानी विदेश मंत्री ने व्यापार संबंध प्रगाढ़ करने की अपील की और उम्मीद जताई कि तेहरान में संयुक्त आर्थिक आयोग की बैठक किये जाने से संबंधों को नयी गति मिलेगी। इसमें कहा गया है कि डोभाल ने विश्वभर में हो रहे घटनाक्रमों पर चर्चा की और उन क्षेत्रों का उल्लेख किया जिनमें तेहरान और नयी दिल्ली साथ मिलकर काम कर सकते हैं। बयान में कहा गया है, ‘‘इसके बाद डोभाल ने एक दीर्घकालिक साझेदारी के ढांचे के तहत दोनों देशों के बीच सहयोग का एक ‘रोडमैप’ तैयार करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।’’ मंत्रालय ने कहा कि चाबहार बंदरगाह परियोजना में सहयोग का मुद्दा भी वार्ता में उठा और डोभाल ने इसके महत्व को रेखांकित किया। मंत्रालय ने कहा, ‘‘अमीरअब्दुल्लाहियान और डोभाल ने अफगानिस्तान के विकास सहित चाबहार में ईरान और भारत के संयुक्त कार्य, द्विपक्षीय बैंकिंग मुद्दे, प्रतिबंध हटाने की वार्ता और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।’’
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि ईरानी राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा कि बैठक में रईसी ने पिछले साल सितंबर में उज्बेकिस्तान के शहर समरकंद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक का उल्लेख किया। साथ ही, दोनों पक्षों ने आर्थिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में संबंध विस्तारित करने की इच्छा जताई। बयान में कहा गया है कि रईसी ने इस बात उल्लेख किया कि ईरान और भारत अपने सहयोग को एक नये मुकाम तक ले जा सकते हैं जो नयी विश्व व्यवस्था के कारण पैदा हुए घटनाक्रमों पर प्रभाव डालेगा। उन्होंने कहा कि इस सप्ताह गोवा में शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले डोभाल ने ईरान की यात्रा की। भारत, एससीओ का मौजूदा अध्यक्ष है और इस साल के अंत में समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन में ईरान को इसका स्थायी सदस्य बनाया जाना है। उल्लेखनीय है कि ईरान, भारत द्वारा इस खाड़ी देश से कच्चे तेल का आयात बहाल करने की अपील कर रहा है।

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