मध्य प्रदेश में महाकाल की नगरी उज्जैन में नाबालिग बच्ची के साथ हुई दरिंदगी का मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। बच्ची के साथ हुई विभत्स घटना से पूरा देश आहत है। इस घटना के प्रकाश में आने के बाद पुलिस की कार्रवाई पर कई सवाल उठाए गए हैं।
इसी बीच उज्जैन पुलिस का एक ऐसा चेहरा सामने आया है जो इंसानियत की मिसाल बन रहा है। गौरतलब है कि अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुई बच्ची को दो पुलिसकर्मियों ने ब्लड डोनेट किया था। वही इस मामले को सुलझाने वाले इंस्पेक्टर अजय वर्मा ने इंसानियत की नई मिसाल पेश की है। इंस्पेक्टर अजय वर्मा ने बताया है कि वो पीड़ित बच्ची को गोद लेना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बच्ची का जब इलाज चल रहा था तब उन्होंने उसकी चीखें सुनी थी। बच्चों की ऐसी अवस्था को देखकर उनकी आंखें भर आई थी।
बता दें कि इंस्पेक्टर अजय वर्मा जल्द ही रिटायर होने वाले हैं उनकी सर्विस को पौने चार साल ही शेष है। करियर के अंतिम पड़ाव में पहुंचकर वह बच्ची को गोद लेकर उसकी जिम्मेदारी उठाना चाहते हैं।
इंस्पेक्टर का कहना है कि इस घटना से उन्हें समाज की क्रूर चेहरे का पता चला। उन्होंने कहा कि बच्ची की आर्थिक मदद करने के लिए वह जल्दी बैंक खातों की डिटेल भी साझा करेंगे ताकि अधिक से अधिक लोग उसकी मदद के लिए आगे आए।
उन्होंने कहा कि वह बच्ची को कानूनी पेंचिदगियों में पड़े बिना ही गोद लेंगे। यानी वह बच्चे की आर्थिक जरूरतों, उसकी पढ़ाई-लिखाई और उसकी सेहत पर ध्यान देने के लिए सभी जिम्मेदारियां निभाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर बच्चे के परिवार वाले मान जाएंगे तो वह बच्चे को अपने साथ रखने के लिए भी तैयार है। इंस्पेक्टर अजय वर्मा ने बताया कि उनकी अपनी खुद की कोई बेटी नहीं है। मगर जब बच्ची का इलाज चल रहा था तो उसकी चीज सुनकर उनकी आंखें नम हो गई थी।। उन्होंने भगवान से सवाल किया कि इतनी तकलीफ है उसे क्यों दी जा रही है।
बता दें कि 24-25 सितंबर की रात को सतना की रहने वाली एक नाबालिग बच्ची के साथ उज्जैन के एक ऑटो ड्राइवर ने मिशन घटना को अंजाम दिया था। घटना के बाद बेसुध और खून से लटपट हालत में बच्ची सड़क पर घूमती हुई मिली थी। बच्ची सदमे में थी और कुछ भी बताने की हालत में नहीं थी। इसके बाद बच्ची का मेडिकल किया गया जिसमें उसके साथ बलात्कार की पुष्टि हुई। इलाज के लिए बच्ची को अस्पताल में भर्ती कर दिया गया था।