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Vinesh Phogat की दमदार वापसी, 18 माह बाद कुश्ती में लौटेंगी, लॉस एंजेलिस 2028 की करेंगी तैयारी

काफी समय से मैट से दूर रहने के बाद भारत की दिग्गज पहलवान विनेश फोगाट ने आखिरकार अपनी वापसी का ऐलान कर दिया है। 31 साल की विनेश ने करीब डेढ़ साल बाद प्रतिस्पर्धात्मक कुश्ती में लौटने का फैसला किया, और सोशल मीडिया पर बताते हुए कहा कि उनके भीतर की आग कभी बुझी नहीं, बस थकान और शोर के नीचे दब गई थी। मौजूद जानकारी के अनुसार यह फैसला उनके लिए केवल एक खेली वापसी नहीं, बल्कि एक नई मानसिक शुरुआत भी है।
बता दें कि विनेश ने पेरिस ओलंपिक विवाद के बाद अचानक संन्यास का ऐलान कर दिया था। यह वही मौका था जब वे अपने करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि से सिर्फ कुछ घंटे दूर थीं, लेकिन 100 ग्राम वजन अधिक होने की वजह से गोल्ड मेडल बाउट से डिसक्वालिफाई कर दी गईं, जो भारतीय खेल इतिहास के सबसे दर्दनाक पलों में से एक माना जाता है। विनेश ने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा कि इस दूरी ने उन्हें अपने जीवन के उतार-चढ़ाव, संघर्षों और पिछले कई सालों के मानसिक बोझ को समझने का मौका दिया है।
गौरतलब है कि इस दौरान वे लगातार यह महसूस कर रही थीं कि कुश्ती से लगाव अभी भी बरकरार है। उन्होंने लिखा कि खेल से दूर रहने की खामोशी में उन्हें अहसास हुआ कि उनकी जुनून की लौ कभी बुझी ही नहीं है। इसी बीच उनकी निजी जिंदगी में भी बड़ा बदलाव आया, क्योंकि जुलाई 2025 में वे एक बेटे की मां बनीं, जिसके बारे में विनेश का कहना है कि वह अब उनका सबसे बड़ा प्रेरणास्रोत हैं।
विनेश का ओलंपिक सफर हमेशा रोमांच और संघर्ष से भरा रहा है। 2016 रियो में चोट की वजह से बाहर होना पड़ा, 2021 टोक्यो में विश्व नंबर एक होने के बावजूद शुरुआती दौर में हार गईं, और 2024 पेरिस में ठीक फाइनल से पहले डिसक्वालिफिकेशन ने उन्हें मानसिक रूप से झकझोर दिया था। उनकी अपील यूडब्ल्यूडब्ल्यू और बाद में सीएएस तक पहुंची, लेकिन फैसला नहीं बदल सका है। यह घटनाएँ उन्हें संन्यास की ओर धकेलने वाली मुख्य वजह बनीं, पर अब वे खुद को पहले से ज्यादा मजबूत महसूस कर रही हैं।
गौरतलब है कि वे 2024 में हरियाणा की जुलाना सीट से विधायक भी बनी थीं और मातृत्व अवकाश पर थीं। अब वे अपने बेटे को “छोटा चीयरलीडर” बताते हुए एक नए जोश के साथ लॉस एंजेलिस 2028 ओलंपिक के लिए तैयार होने का इरादा जताती हैं। उनके लिए यह वापसी केवल खेल का सफर नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और धैर्य की दोबारा जगाने का प्रतीक बन गई है।

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