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जागरूकता फैलाने और संवेदनशील बनाने के लिए सबसे प्रभावी माध्यम है सिनेमा : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को यहां 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में कहा कि फिल्मी कलाकार बदलाव के वाहक हैं, जो लोगों को जोड़ते हैं और जागरूकता फैलाने के लिए सिनेमा सबसे प्रभावी माध्यम है।
अभिनेत्री वहीदा रहमान को दादा साहब फाल्के सम्मान प्रदान करने के बाद राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि फिल्में केवल व्यवसाय और मनोरंजन तक सीमित नहीं हैं।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘सिनेमा हमारे समाज का दस्तावेज भी है और उसे सुधारने का माध्यम भी है। आप कलाकार हैं और बदलाव के वाहक भी हैं। आप न केवल लोगों को देश के बारे में जानकारी देते हैं बल्कि उन्हें एक-दूसरे से जोड़ते भी हैं… सिनेमा जागरूकता फैलाने और संवेदनशील बनाने का सबसे प्रभावी माध्यम है।’’

उन्होंने कहा कि इस साल की विजेता फिल्मों ने जलवायु परिवर्तन, लड़कियों की तस्करी, महिलाओं पर अत्याचार, भ्रष्टाचार और सामाजिक शोषण जैसे कई मुद्दों पर प्रकाश डाला है।
मुर्मू ने कहा, ‘‘आदिवासी समुदायों का प्रकृति और कला के प्रति प्रेम, महात्मा गांधी के आदर्शों का अनुकरण, प्रतिकूल स्थितियों के बीच अदम्य भावना से लड़ना, शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति और कला व संस्कृति के क्षेत्र में विशेष उपलब्धियां जैसे विभिन्न विषयों पर अच्छी फिल्में बनाई गई हैं।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि उनका मानना है कि भारतीय फिल्मों को देश की सामाजिक विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना चाहिए।

उन्होंने फिल्म उद्योग से महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देना जारी रखने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि ऐसी फिल्में न केवल देश और समाज के लिए फायदेमंद होंगी, बल्कि व्यावसायिक रूप से भी सफल साबित होंगी।’’
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भारतीय फिल्म उद्योग पर गर्व जताया और कहा कि आज कुछ भी क्षेत्रीय नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि सामग्री अच्छी है, तो क्षेत्रीय सामग्री को वैश्विक स्तर पर दर्शक मिलेंगे।’’
मंत्री ने कहा कि सरकार ‘फिल्म पाइरेसी’ का मुकाबला करने के प्रयासों में फिल्म उद्योग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है और वह सिनेमैटोग्राफ अधिनियम के जरिये इस समस्या से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है।

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