झारखंड की राजधानी रांची में सोमवार को किए गए दो प्रदर्शनों से आम जनजीवन प्रभावित हुआ। पहला, प्रदर्शन संविदा कर्मचारियों ने उनकी सेवाएं नियमित करने की मांग को लेकर किया। वहीं, दूसरा प्रदर्शन सरकार द्वारा आरक्षण से जुड़े नियमों का कथित तौर पर पालन न करने को लेकर आदिवासी निकायों द्वारा किया गया।
प्रदर्शन से शहर के कुछ हिस्सों में यातायात ठप रहा और सप्ताह के पहले दिन बड़ी संख्या में यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ा।
राज्य के विभिन्न जिलों से ताल्लुक रखने वाले झारखंड स्वास्थ्य विभाग के सैकड़ों संविदा कर्मचारी सेवा नियमित करने की मांग को लेकर सुबह रांची की सड़कों पर उतरे।
वहीं, अल्बर्ट एक्का चौक पर आदिवासी संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों ने प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि उन्हें पता चला है कि राज्य सरकार आरक्षण मानदंडों का पालन किए बिना संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की योजना बना रही है।
स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों (नर्स, लैब तकनीशियन और फार्मासिस्ट) ने सरकार द्वारा उनकी मांग पर ध्यान नहीं देने पर मंगलवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने की धमकी दी।
प्रदर्शनकारी रांची के मोराबादी इलाके में इकट्ठे हुए और फिर अपनी मांग के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास तक मार्च निकाला। प्रदर्शनकारियों में से कुछ ने 15 साल के लिए अनुबंध पर काम करने का दावा किया।
हालांकि, पुलिस ने उन्हें मुख्यमंत्री आवास से करीब 250 मीटर पहले राजभवन के पास रोक लिया।
प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के बीच मामूली हाथापाई हुई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए बैरिकेड लगा रखे थे।
पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, स्थिति पर मिनटों में नियंत्रण पा लिया गया और प्रदर्शनकारियों को सूचना भवन चौक से आगे मार्च जारी रखने की अनुमति नहीं दी गई।
प्रदर्शनकारियों में से एक, वीना कुमारी ने कहा कि वह और कई अन्य लोग पिछले 15-16 वर्षों से 10,000 रुपये से लेकर 17,000 रुपये तक के मामूली पारिश्रमिक पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “सेवा नियमितीकरण हमारी एकमात्र मांग है। अगर सरकार ने ध्यान नहीं दिया, तो हम मंगलवार से आमरण अनशन शुरू करेंगे।”
बाद में दिन में, शहर के एक अन्य हिस्से में आदिवासी संगठनों द्वारा एक रैली निकाली गई, जिसमें दावा किया गया कि सेवा नियमितीकरण की प्रक्रिया में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा “आरक्षण रोस्टर” का पालन नहीं किया जा रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने विरोध में राज्य सरकार का पुतला फूंका।