ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की ओर से पाकिस्तान के भीतर घुस कर की गयी कार्रवाई और पलटवार में पाकिस्तान की ओर से किये गये हमलों के प्रयास को जिस तरह भारतीय सैन्य बलों ने विफल किया उससे पूरी दुनिया में भारत की रक्षा क्षमताओं का डंका बज गया है। हम आपको बता दें कि पिटाई सिर्फ पाकिस्तान की ही नहीं हुई है बल्कि तुर्की के ड्रोन से लेकर चीन की मिसाइलों तक को मुँह की खानी पड़ी है।
एक साथ तीन दुश्मन ढेर
भारतीय वायु संचालन के महानिदेशक एयर मार्शल एके भारती ने मीडिया को जो जानकारी दी उसके मुताबिक भारत की एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली दीवार की तरह खड़ी रही और पाकिस्तान इसे भेद नहीं सका। चाहे वह तुर्की का ड्रोन हो या कुछ और भारत की तकनीक के सामने सब विफल रहे। भारतीय अधिकारियों ने सबूत के तौर पर वह तस्वीरें दिखाईं, जिनमें देखा गया कि पाकिस्तान ने चीन निर्मित PL-15 लंबी दूरी की दृश्य-सीमा से परे हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइलें, तुर्की में बने Byker Yiha ‘कामीकाज़े’ और Asisguard Songar ड्रोन और लॉन्ग-रेंज रॉकेट, ‘लोइटर म्युनिशन’ और क्वाडकॉप्टर्स का उपयोग किया। इनमें से अधिकांश को भारत की वायु रक्षा प्रणालियों ने मार गिराया। जो कुछ बचे उन्होंने बहुत ही मामूली नुकसान पहुंचाया।
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चीन वायुसेना का बयान
दूसरी ओर, चीनी सेना ने उन खबरों का खंडन किया है कि उसके सबसे बड़े सैन्य कार्गो विमान ने पाकिस्तान को हथियारों की सप्लाई की है। उसने ऐसी अफवाहें फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAF) ने इस बात से इंकार किया है कि उसके शीआन वाई-20 सैन्य परिवहन विमान ने पाकिस्तान को सप्लाई की है। हम आपको बता दें कि चीनी रक्षा मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटरनेट पर ‘वाई-20 से पाकिस्तान को राहत सामग्री पहुंचाने’ के बारे में बड़ी मात्रा में जानकारी देखने के बाद वायु सेना ने बयान में कहा कि ऐसे दावे झूठे हैं। पीएलएएफ ने गलत जानकारी साझा करने वाली तस्वीरों के कई स्क्रीनशॉट भी पोस्ट किए, जिनमें से हर पर लाल रंग में ‘अफवाह’ लिखा हुआ था। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘इंटरनेट कानून से परे नहीं है। जो लोग सैन्य संबंधी अफवाहें फैलाते हैं, उन्हें कानूनी रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
वैसे चीन भले इंकार करता रहे लेकिन हकीकत यह है कि स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (SIPRI) की हालिया रिपोर्ट बताती है कि चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है। पाकिस्तान ने साल 2020 से 2024 तक अपनी हथियारों की खरीद का 81 प्रतिशत सामान चीन से लिया है। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान की ओर से चीनी रक्षा उत्पादों की खरीद में जेट लड़ाकू विमान, रेडार, नौसैनिक जहाज, पनडुब्बियां और मिसाइलें शामिल हैं। इसके अलावा दोनों देश संयुक्त रूप से जे-17 लड़ाकू विमान बनाते हैं, जो पाकिस्तानी वायु सेना का मुख्य आधार है।
हम आपको यह भी बता दें कि चीन ने पाकिस्तान को सिर्फ हथियार ही नहीं दिये बल्कि पहलगाम आतंकी हमले के दौरान इस्लामाबाद का खुला समर्थन किया था और घटना की जांच की शहबाज शरीफ की मांग को भी सही बताया था। हम आपको यह भी बता दें कि घटना के वक्त यानि 22 अप्रैल को जब पहलगाम में मासूम पर्यटकों की हत्या की जा रही थी उस समय शहबाज शरीफ तुर्की में मौजूद थे। हम आपको यह भी याद दिला दें कि 10 मई 2025 को चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने में वो उसके साथ देगा।
चीन और तुर्की का क्या इलाज है?
अब सवाल उठता है कि पाकिस्तान को हथियार दे रहे चीन और तुर्की से भारत को कैसे निबटना चाहिए? इसके जवाब में भारत निश्चित रूप से अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करेगा ही। लेकिन शुरुआत व्यापार बाधित करके तो की ही जा सकती है। चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री ने तो राष्ट्रीय राजधानी में 700 से अधिक व्यापारिक संगठनों से चीन और तुर्की के साथ सभी प्रकार के व्यापार को रोकने की अपील कर भी दी है। सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा, ‘‘चीन और तुर्की ने भारत-पाक संघर्ष में प्रतिद्वंद्वी का समर्थन किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चीन को भारतीय बाजारों से काफी लाभ होता है, क्योंकि देश भर में इसके उत्पादों का व्यापक रूप से व्यवसायों में उपयोग किया जाता है। इसके बावजूद, वह (चीन) गैर-मित्रतापूर्ण रुख अपनाना जारी रखे है। ऐसे देशों पर हमारी आर्थिक निर्भरता पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है।’’
बृजेश गोयल ने विशेष रूप से तुर्की के साथ वाणिज्यिक संबंधों को धीरे-धीरे कम करने पर जोर दिया, जो भारतीय पर्यटन से काफी राजस्व अर्जित करता है। हम आपको बता दें कि सीटीआई के अनुसार, ‘‘वर्ष 2024 में, लगभग 27.5 लाख भारतीय पर्यटक तुर्की गए, जिससे दोनों देशों के बीच 12.5 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ।’’