जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने पिछले साल केंद्र सरकार की ओर से घोषित नयी ग्राम रक्षा गार्ड यानि वीडीजी (विलेज डिफेंस गार्ड्स) नीति के संबंध में एकल न्यायाधीश की पीठ के फैसले पर रोक लगा दी।
केंद्र की ओर से इस नीति का ऐलान केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवादी गतिविधियों पर रोकथाम के प्रयास के तहत किया गया था।
यह योजना 15 अगस्त, 2022 को अमल में आई और इसने जम्मू-कश्मीर सरकार की वर्ष 1995 की योजना का स्थान लिया।
हालांकि, नयी वीडीजी नीति को उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई।
ज्यादातर याचिकाएं इन समूहों का नेतृत्व कर रहे स्पेशल पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) द्वारा दायर की गईं क्योंकि इनके मानदेय को 18 हजार रुपये से घटाकर 4500 रुपये कर दिया गया।
छह अप्रैल को एकल न्यायाधीश की पीठ ने वर्ष 2022 की योजना को निरस्त कर दिया और सरकार से कहा कि एसपीओ की नियुक्ति ग्राम रक्षा समिति-1995 के तहत हुई है अैर उनके पास पुलिस कानून के तहत सभी एसपीओ के सभी विशेषाधिकार और शक्तियां हैं।
लेकिन मुख्य न्यायाधीश एन कोटिश्वर सिंह और न्यायमूर्ति राहुल भारती की सदस्यता वाली खंड पीठ ने एकल पीठ के फैसले पर रोक लगा दी। अदालत इस मामले में अगली सुनवाई सात जून को करेगी।
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